For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लो हँसी दूब 

बादल जो छलके 

बहुत खूब 

*
नेह की बूँद 

मन पांखुरी पर 

गिरी अब,लो 
*
मन विभोर 

कर गए बदरा 
जी सराबोर 
*
मुंह चिढाया 

मुस्कुराया भी वो 

फिर बरसा 
*

लिखी हमने 

नेह की एक पाती

हवा ले उड़ी 

*

जल ही जल 

बरस गए मेह

वाह,सस्नेह

*

आई बौछार 

बजे मन के तार 

प्यार ही प्यार 

*

बिन बरसे 

ये बादल रहे ना 

माना कहना 

*
जल अमृत 

विहँसे,उड़े खग 

हर्षित जग 
*

मन प्रसन्न 
बही आखिरकार

रस की धार 
____________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ 

(मौलिक और अप्रकाशित )

 

Views: 540

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on June 19, 2013 at 10:54pm

बहुत ही सुन्दर हाइकू हैं। वाह! मजा आ गया! मेरी बधाई स्वीकारें!

Comment by वीनस केसरी on June 19, 2013 at 10:07am

वाह वा 

हाइकु विधा जब प्रकृति को बाँधती है तो जैसे चमत्कार ही हो जाता है ..
शानदार अभिव्यक्ति 

Comment by Sumit Naithani on June 18, 2013 at 4:12pm

mazedaar hayku

Comment by Shyam Narain Verma on June 18, 2013 at 2:30pm

अतिसुन्दर और मनभावन प्रस्तुति।   हार्दिक बधाई स्वीकारें।  

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 18, 2013 at 7:45am

आ0 विश्वम्भर सर जी, हाईकू की छोटी-छोटी जल बिन्दु वर्षा की रिमझिम बनकर मन को सराबोर कर गई।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 17, 2013 at 10:48pm

हार्दिक धन्यवाद विजय मिश्र जी ,आपके स्नेह की वर्षा भी तो कुछ कम नहीं ,यह बरसात स्नेह से भीगी फुहारें यूँ ही भिगोती रहें मित्र !

Comment by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 17, 2013 at 10:46pm

बहुत आभार आपका cootee mukerji जी ,पानी तो खूब बरस रहा है ,क्या लखनऊ क्या दिल्ली और क्या उत्तराखंड ,बस लिख दिए हाइकू ,बहुत दिन से प्यासी थी धरती ,आपका स्नेह ,अपार यूँ ही मिलता रहे हर बार !

Comment by coontee mukerji on June 17, 2013 at 8:36pm

आपकी कवीता और लखनऊ की वर्षा ......दोनों की खूब जम रही है .विश्वम्भर जी.सादर / कुंती .

Comment by विजय मिश्र on June 17, 2013 at 4:16pm
इसकी झमाझम भी किसी सावनी फुहार से कम नहीं , बधाई श्रीमानजी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
41 minutes ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
2 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service