For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“जिन्दगी का गीत”

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा, 

गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,

हिम्मतों  से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले................

 

हाथ-पांव साथ देंगें रोज इम्तेहान दे, 

उड़ चलेगा हौसले बुलंद रख के ध्यान दे,

चमचमाते तारे आज आसमां से तोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...............

 

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 1024

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 15, 2012 at 11:56pm

धन्यवाद बागडे साहब !

Comment by AVINASH S BAGDE on July 20, 2012 at 7:14pm

wah...

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 20, 2012 at 9:12am

धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2012 at 11:57pm

प्रेरणा और सांत्वना देता गीत बन पड़ा है, आदरणीय अम्बरीषभाईजी.

सादर बधाई.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 14, 2012 at 7:15pm

मित्र संदीप जी, इस गीत को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार ....सस्नेह ...

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 14, 2012 at 7:14pm

आदरणीय अग्रज मापतपुरी जी, आपके स्नेह को सादर नमन ...

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 14, 2012 at 7:13pm

मित्र शैलेन्द्र जी, आभारी हूँ आपका .......आपकी हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया अभिभूत करती है ! सस्नेह

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 14, 2012 at 11:29am

ज़िंदगी की मुश्किलों से लड़ते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देता आपका यह गीत बहुत ही सुन्दर लगा आदरणीय| सादर,

Comment by satish mapatpuri on July 14, 2012 at 2:48am

हाथ-पांव साथ देंगें रोज इम्तेहान दे,

उड़ चलेगा हौसले बुलंद रख के ध्यान दे,

चमचमाते तारे आज आसमां से तोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...............   नमन है आदरणीय श्रीवास्तव साहेब ....... इस ज़ज्बे को सलाम  

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 13, 2012 at 10:58pm

 बहुत ही बढ़िया रचना  वीर रस का संचार करती इस रचना में केवल काव्य ही नहीं है अपितु   सभी के लिए बहुत ही सकारात्मक सन्देश है

 जोश भर देने वाली,कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत रखने हौसले बुलंद रखने का पवित्र उद्देश्य कहती बहेतरीन रचना

हार्दिक बधाई

दम भरी ये साधना बुलंद हौसला लिए

कह रही है बड़े चलो बुलंद हौसला  लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service