घनाक्षरी (कवित्त) लिखे के प्रयास भोजपुरी में कईले बानी, रउआ लोगन से निवेदन बा कि आपन विचार से अवगत कराई सभे कि हमार प्रयास केतना सफल बा |
हां में हां मिलावे जेहि, बतिया बनावे जेहि,
विश्वास ओकरा पर, कबहू न करिहा |
आपन जतावे जेहि, बहुते लगावे जेहि,
वोकरा से कुछऊ क, जिन आस करिहा |
मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,
वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |
नियालय देवालय, दूनो एक जईसन,
ठाढ़ होके उहाँ जनि, बकवास करिहा ||
गणेश जी "बागी"
हमार पिछुलका पोस्ट => कुहकत बाड़ी "माई भोजपुरी"
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आपन जतावे जेहि, बहुते लगावे जेहि,
वोकरा से कुछऊ क, जिन आस करिहा |
वाह ! केतना गहिर बात कहले बानी बागी जी । देखल जाए तऽ दुनिया के ईहे सचाई हऽ । बहुत बढ़िया ।
नियालय देवालय, दूनो एक जईसन,
ठाढ़ होके उहाँ जनि, बकवास करिहा ||......
To the point
हां में हां मिलावे जेहि, बतिया बनावे जेहि,
विश्वास ओकरा पर, कबहू न करिहा |
आपन जतावे जेहि, बहुते लगावे जेहि,
वोकरा से कुछऊ क, जिन आस करिहा |
मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,
वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |
नियालय देवालय, दूनो एक जईसन,
ठाढ़ होके उहाँ जनि, बकवास करिहा ||
प्रिय बागी जी,
आपन जतावे जेहि, बहुते लगावे जेहि,वोकरा से कुछऊ क, जिन आस करिहा |
बहूत सुन्दर रचना ..बधाई.!!!!
मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,
वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |
raua kaer rachana bahutai sundar ba.
हां में हां मिलावे जेहि, बतिया बनावे जेहि,
विश्वास ओकरा पर, कबहू न करिहा |
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