For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नत्था जैसी हो गई छत्तीसगढ़ के अन्नदाताओं की हालत

छत्तीसगढ़ जैसे कृषि प्रधान राज्य में अगर अन्नदाता आत्महत्या करने लगे तो, सोचा जा सकता है कि स्थिति कितनी भयावह हो चुकी है। छत्तीसगढ़ जहां की अधिकांश आबादी कृषि कार्य पर निर्भर है और इस कृषि के काम को करने वाला टाटा या अम्बानी जैसे उद्योगपति नहीं बल्कि, एक आम किसान है, जो दिन रात एक करके फसल को तैयार करता है, उसे आज सरकारी मदद के आभाव में कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। साल दर साल कर्ज के बोझ से असहाय किसानों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इस तरह छत्तीसगढ़ में अन्नदाताओं की हालत चर्चित फिल्म ‘पीपली लाइव’ के ‘नत्था’ जैसी हो गई है। सरकारी मदद के अभाव में मजबूर अन्नदाताओं के खुदकुशी के लिहाज से छत्तीसगढ़ चौथा बड़ा पीपली स्टेट बन गया है।
पिछले दिनों जारी राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के हिसाब से वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ में 1802 किसानों ने आत्महत्या की है, जबकि कृषि संबंधित मामलों के जानकार मानते हैं कि छत्तीसगढ़ से संबंधित ये आंकड़े वर्तमान 1802 से भी ज्यादा हो सकते हैं, क्योंकि इस तरह की आत्महत्याओं का सही ढंग से आकलन नहीं किया जा रहा है। महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश व कर्नाटक के बाद सबसे ज्यादा खुदकुशी के मामले छत्तीसगढ़ में सामने आए हैं। इस मसले पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रामनिवास का कहना है, छत्तीसगढ़ में एक भी किसान ने कृषि संबंधित परेशानी के कारण आत्महत्या नहीं की है, जबकि राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने ग्रामीण इलाकों में हुई आत्महत्याओं को किसानों की आत्महत्या मान लिया गया है। मेरा मानना है कि पुलिस की ओर से थाना स्तर पर जिस तरह आत्महत्याओं के मामले निपटाए जाते है,ं उससे उनके वास्तविक कारणों का पता नहीं चल पाता है। क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के यह आंकड़े राज्य की पुलिस की ओर से ही भेजे जाते हैं। मगर ये कहीं नहीं बताया जाता है कि आत्महत्या करने वाले ने आर्थिक कारणों से ऐसा किया है। गंभीर बात यह है कि अधिकतर मामलों में पुलिस अन्य कारणों का उल्लेख करते हुए मामले का निपटारा कर देती है। किसानों की आत्महत्या का एक सबसे बड़ा कारण है आर्थिक तंगी। जबसे किसानों की आत्महत्या के मामले उजागर होने लगे, तबसे पुलिस ने किसानी की वजह से आत्महत्या के खाने को एक तरह से हटा ही दिया है। उसकी जगह पर अब अज्ञात कारणों से आत्महत्या लिखना सरल और सहज समझा जाने लगा है। छत्तीसगढ़ में आत्महत्या करने वालों में से 33 प्रतिशत किसान हैं, लेकिन इसकी थोड़ी चिंता भी सरकार को नहीं है। आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को सरकार मुआवजा न देने के सौ बहाने बनाती है। अगर जमीन बाप के नाम पर है और सारा काम बेटा करता है और भूखमरी के हालत में आत्महत्या कर लेता है तो सरकार उस किसान की आत्महत्या को गणना में नहीं लेती है। क्योंकि खेती की भूमि उसके नाम न होकर उसके बूढ़े बाप के नाम है। फिर सरकार कहती है कि इस हालत में किसान के बेटे ने कर्ज से उत्पन्न समस्याओं के कारण आत्महत्या नहीं की। परिवार का बड़ा लड़का बाप के बूढ़े होने के कारण खेती का काम तो संभाल लेता है परंतु उसको यह कभी विचार नहीं आ सकता कि बाप के होते हुए भूमि अपने नाम करवा ले। पिछले दो दशक में किसानों के हालात बुरे हुए हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसानों की आत्महत्या की घटनाएँ हर साल बढ़ती जा रही है। आज इस कृषि प्रधान राज्य में ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो गई हैं कि किसान अपने आप को हर तरफ से असहाय महसूस कर रहा है। किसानो के आत्मह्त्या की वजह केवल एक ही कारण से हो रही है, ये कहना थोड़ा सा अनुचित होगा, मगर इसकी सबसे शक्तिशाली वजह किसानो का कर्ज में डूबा होना ही रहा है। ये कर्ज कभी सरकार का होता है और कभी साहूकार का, और जब किसान को ऐसा लगने लगता है कि वह अब कर्ज को नहीं चुका पाएगा और उसे समाज में भारी अपमान सहना पड़ेगा तो उसे सबसे आसान रास्ता आत्महत्या ही नजर आता है। उसे उस समय यह बिल्कुल समझ नहीं आता है कि वह क्या करे और घबराहट में वह आत्महत्या की तरफ कदम बढ़ा देता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि फसल तो बहुत अच्छी होती है, लेकिन उस फसल को बेचने के बाद उसे उसका भुगतान इतने दिनों बाद मिलता है को वह कर्ज कई गुणा हो चुका होता है और मासूम किसान उसे चुकाने में खुद को असमर्थ पाता है। आज भारत के प्रमुख उद्योगपति छत्तीसगढ़ राज्य में अपने उद्योग स्थापित कर रहे हैं और वे इसके लिए किसानो की जमीन को सरकार के माध्यम से हथिया रहे हैं जिसे कानून की भाषा में अनिवार्य अधिग्रहण कहा जाता है। ऐसा होने से बहुत सारे किसान भूंमिहीन हो रहे हैं, जिस वजह से भी अन्नदाता हताश होकर आत्महत्या की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। अगर हम इन सभी कारणो को ध्यान से देखें तो इसमे कोई भी ऐसी वजह नही है जिसे दूर नही किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सिर्फ सरकार को ही नहीं बल्कि, हमें और किसान सभी को जागना होगा। वैसे तो इतिहास गवाह है कि हमेशा राजनीतिज्ञों ने किसानो से सिर्फ वायदे ही किए हैं, लेकिन उन वायदों को शायद ही कभी पूरा किया हो और आज उसी का परिणाम है कि किसान सरकार से ही तंग आकर आत्महत्या करने लगा है। अगर सरकार इस मामले में जागरुक हो जाए तो शायद ही कभी ऐसी समस्या आए। दूसरा हमारा समाज, कहने के लिए तो समाज आधुनिकता की तरफ बढ़ रहा है। समाज में साक्षरता भी बढ़ रही है लेकिन आज भी किसी मजबूर को मदद देने की बजाए, उसको जलील करने में हमारे समाज को बहुत मजा आता है। इन बढ़ती हुई आत्महत्यों में भी कहीं न कहीं हमारा सामाजिक परिवेश भी बहुत हद तक जिम्मेदार है। अगर आज जो स्थिति है उसके सुधार नही हुआ और हम नहीं सुधरे, हमारी राजनीति नहीं सुधरी, तो शायद जो किसान आज पूरे देश के लिये अन्न पैदा कर रहा है वो अनाज सिर्फ अपने लिए ही पैदा करेगा और उसके बाद जो स्थिति होगी उसके बारे में सोचा भी नही जा सकता।

Views: 710

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
16 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मनुष्य से आवेग जनित व्यवहार तो युद्धभा में भी वर्जित है और यहां यदा-कदा यही आवेग ही निरर्थक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 - 1122 - 1122 - 112 / 22 हमने सीखा है ये धड़कन की ज़बानी लिखना दिल पे आता है हमें दिल की…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बे-म'आनी को कुशलता से म'आनी लिखना तुमको आता है कहानी से कहानी लिखना यह शेर किसी के हुनर…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service