For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -चरागों को जलाने का कोई तो ढब ज़रूरी है ( गिरिराज भंडारी )


1222    1222    1222    1222 

मुख़ालिफ इन हवाओं में ठहरना जब ज़रूरी है

चरागों को जलाने का कोई तो ढब ज़रूरी है

 

रुला देना, रुलाकर फिर हँसाने की जुगत करना

सियासत है , सियासत में यही करतब ज़रूरी है

 

उन्हें चाकू, छुरी, बारूद, बम, पत्थर ही दें यारो  

तुम्हें किसने कहा बे इल्म को मक़तब ज़रूरी है

 

तगाफुल भी ,वफा भी और थोड़ी बेवफाई भी

फसाना है मुहब्बत का, तो इसमें सब ज़रूरी है

 

पतंगे आसमाँनी हों या रिश्ते हों ज़मीनों के

यहाँ पर ढील भी, जानें कि, देना कब ज़रूरी है

 

वो दे कर ज़ह्र,.. मेरा वक़्त में करते हैं चारा भी 

मेरा मरना, मेरा जीना उन्हें तो सब ज़रूरी है

 

हवा की सरसराहट को भी कुत्ते भाँप सकते हैं

तो फिर इंसाँ तो ये जाने बयाँ क्या?..कब ज़रूरी है

 

अगर अंजाम हर इक ज़िन्दगी का मौत ही है, तो

तुम्हीं कह दो, कहाँ ,कैसे ,किसीको रब ज़रूरी है
*********************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 1052

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:33pm

आदरणीय नवीन भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:32pm

आदरणीया अलका जी , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:31pm

आदरणीय सुरेश भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:30pm

आदरनीय समर भाई , हौला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

आपकी सलाह उचित है , मै सुधार कर लूँगा , आपका हार्दिक आभार सलाह के लिये ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:28pm

आदरनीय शेख शहज़ाद  भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:27pm

आदरनीय शिज्जु भाई , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2016 at 9:27pm

आदरनीय आशीष भाई , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया आपका ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 11:08am
वाह सर दिल जीत लिया ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 27, 2016 at 10:50am
आदरणीय श्री गिरिराज भंडारी जी बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई।सादर
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 27, 2016 at 10:18am
आदरणीय श्री गिरिराज भंडारी जी बेहतरीन गजल रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service