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ये हवा मस्ती भरी इस पार तक आती तो है।।
तन को मेरे छु के मुझसे प्यार फ़रमाती तो है।।

गाँव की सुन्दर सी गालियाँ और उनकी याद सब।
संग मेरे खेतों की मिट्टी ये हवा लाती तो है।।

जिनकी नजरों में सिवा नफरत के न कुछ और था।
ये हवा झकझोर कर के जात बतलाती तो है।।

क्यों बुराई कर रहा है बाप माँ ही शान हैं।
नाव कितनी भी हो जर्जर पार ले जाती तो है।।

क्यों नही है काम की लिक्खी गई ये पुस्तकें।
धूल इनपर है चढ़ी दीमक इन्हें खाती तो है।।

चुप कहाँ इस दौर में है हर्फ़ लिख कर वो मेरा।
बेवजह में ही सही पर रूह से गाती तो है।।

क्या समझ पाए ज़माना मूक हैं सब आयतें।
मूक भाषा ही सही पर राह बतलाती तो है।।

ये कुरां गीता ये बइबिल मात्र बस इक राह हैं।
नेक इंसानों को मंजिल तक ये पहुचती तो है।।
मौलिक / अप्रकाशित

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Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 8, 2016 at 11:43am
जी आदर नीय अप का भी आभार नमन
आगे भी मार्गदर्शन देते रहे । कोशिश करूँगा और अच्छे भावों को संजोने का ....

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 8, 2016 at 11:13am

ये हवा मस्ती भरी इस पार तक आती तो है।।
तन को मेरे छू के मुझसे प्यार फ़रमाती तो है।।

गाँव की सुन्दर सी गलियाँ और उनकी याद सब।
संग मेरे खेतों की मिट्टी ये हवा लाती तो है।।

अच्छी ग़ज़ल है आमोद भाई प्रयासरत रहें और जनाब समर कबीर साहब ने बाकी बता ही दिया है

Comment by Samar kabeer on September 7, 2016 at 9:59pm
दूसरे शैर का सानी मिसरा इस तरह देखिये:-
"संग मेरे खेतों की मिट्टी हवा लाती तो है"
Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 7, 2016 at 6:43pm
आ समर साहब जी सादर प्रणाम
हाँ सर अरकान लिखना भूल गया हु । क्षमा चाहता हूँ । और सर पहुंचती शब्द की भी जानकारी नही थी आइंदा इस बात का भी लिखते वक्त ख्याल किया करूँगा ....सर दुसर्र शेर में मैंने संग 2 मिरे 12 में गिना है । तो आप बताए अगर गलत है तो मै फिर उसे कुछ" लिख सकता हूँ । पर इस पर मार्गदर्शन जरुर दीजियेगा ........obo की बेब का शुक्र गुजार हु क्यू की गजल नाम की जो बला है । वो इस मंच से अच्छा कही और नही सीख सकता ..एक बार फिर मंच कइ सभी गुरुजनों जानकारों को प्रणाम आ समर सर आप को भी प्रणाम
Comment by Samar kabeer on September 7, 2016 at 4:22pm
जनाब आमोद श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
दूसरे शैर का सानी मिसरा लय में नहीं देखियेगा

आख़री शैर में रदीफ़ सही लिखें'पहुंचती'की जगह पहुंचती ल8खा है ।
ग़ज़ल के साथ आपने अरकान भी नहीं लिखे जो इस मंच का नियम है,आइन्दा से लिख दिया करें ।

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