For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे महबूब के आमद का जलवा

बहर 1222/1222/1222/1222

मेरे महबूब की आमद का जलवा खूब सूरत है//
जहाँ में रंग है जितने वो उतना खूब सूरत है//

मजे की बात है यारों कोई तारा नही वैसा/
फलक पर आज का महताब जितना खूब सूरत है/1/

चलो अब चाँद तुम अपनी मुहब्बत की सुनाओ कुछ/
सुना है चादनी मांझी का रिश्ता खूब सूरत है /2/

कोई हिंदी में लिखता है , कोई उर्दू में लिखता है/
लिखा जो भी गया है वो तराना खूब सूरत है/3/


कभी तुमसे गिरा था जो बरेली की बजारोमे /
तेरी वो कान की बाली वो झुमका खूब सूरत है/4/

सरारत की जो नुक्कड़ में मुहब्बत थी मेरी साथी/
तुझे कोने में यु मिलना सताना खूब सूरत है/5/


ये पुरी रात है जागा तेरे घर की हिफाजत में/
मेरे साथी तेरे घर का ये कुत्ता खूब सूरत है/6/

न मजहब की सुनाओ तुम न चर्चा जाति का रक्खो/
चलो किस्तों में निपटा दे ये तुक्का खूब सूरत है/7/

मुहब्बत के वसूलों पर गजल तुम रोज लिखती हो/
अरे छोडो भी अब साकी ये चिमटा खूब सूरत है/8/

मौलिक/अप्रकाशित
आमोद बिन्दौरी

Views: 438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 10, 2016 at 6:44pm
आ कांता दीदी जी और मनोज भाई साहब स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार नमन
Comment by kanta roy on February 23, 2016 at 8:58am
कोई हिंदी में लिखता है , कोई उर्दू में लिखता है/
लिखा जो भी गया है वो तराना खूब सूरत है------- बेहतरीन गजल बनी है यह आपकी आदरणीय अमोद जी । शेर दर शेर लाजवाब बने हैै । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by मनोज अहसास on February 22, 2016 at 4:38pm
प्रस्तुति के लिए बहुत शुभकामनायें
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service