| फूल बिना भौंरे का जीवन , जग में है कितना लाचार । |
| जब बाग वन कहीं खिले कली , आ जाये बिकल बेकरार । |
| रंग रूप ना दूरी देखे , नैनों से करता इजहार । |
| खार वार कुछ भी ना देखे , जोश में आये बार बार। |
| फूल को कहाँ मालूम होता , कौन बने जीवन आधार । |
| भौंरा भी अनभिज्ञ होता है , कौन डाले गले में हार । |
| बिना मिलन कैसे चल पाये , फलता बढ़ता ये संसार । |
| बिना कली कैसे फल आये , बिना फूल जीवन बेकार । |
| फूल फलों से बाग महके , पशु पक्षी करते गुलजार । |
| तनहा रह कर फूल ना खिले , बिना पौध सूना संसार । |
| किसी पौध में फल ना आये , गम कहीं सताये बार बार । |
| सिर पकड़े माली फिर रोता , दीप बुझेगा हो लाचार । |
| हर कोई ये वादा कर ले , कली ना टूटे कहीं यार । |
| अनमोल है विश्व में जीवन , चलता रहे सदा घर बार । |
| छुपे कोई डाल ना काटे , कटे नहीं जीवन का तार । |
| दीप जले ख़ुश हो हर घर में , वर्मा हो हर नैया पार । |
| श्याम नारायण वर्मा |
| मौलिक एवं अप्रकाशित |
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