छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा विकासखंड के नरियरा क्षेत्र में हैदराबाद की केएसके महानदी पावर कंपनी ने 3600 मेगावाट का पावर प्लांट स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से एमओयू किया है। भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई के बाद पावर प्लांट का निर्माण तेज गति से चल रहा है। कुछ माह पूर्व इसी पावर कम्पनी को राज्य सरकार ने ग्राम रोगदा में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने 48 साल पूर्व बनाए गए बांध को अनुपयोगी बताकर सात करोड़ रूपए में बेच दिया था। इस मामले में राज्य सरकार का कहना था रोगदा जलाशय का सम्पूर्ण सैंच्य क्षेत्र मिनीमाता (हसदेव) बांगो परियोजना की अकलतरा शाखा नहर के सैंच्य क्षेत्र के अन्तर्गत वर्ष 1989-90 से आ जाने के कारण रोगदा जलाशय सिंचाई हेतु उपयोगी नहीं रहा, क्योंकि सैंच्य क्षेत्र के कृषक अकलतरा शाखा नहर बन जाने के बाद से, सिंचाई हेतु अनुबंध पश्चात अकलतरा शाखा नहर के माध्यम से ही सिंचाई करते हैं। इस प्रकार 20 वर्षो से सिंचाई कार्य बंद रहने के कारण जल संसाधन विभाग को उक्त भूमि की आवश्यकता नही रही। वास्तव में उपरोक्त बांध को बेचा नहीं गया है, बल्कि तत्कालीन कलेक्टर (भू बंटन शाखा) जांजगीर-चाम्पा द्वारा वर्ष 2008 में उक्त भूमि उद्योग विभाग को निर्धारित शर्तों के अनुसार अंतरित करने के बाद उद्योग विभाग को लीज पर दी गई है। के.एस.के. एनर्जी एवं वर्धा पावर कम्पनी लिमिटेड हैदराबाद द्वारा थर्मल पावर प्लांट स्थापना के लिए उक्त भूमि 52.85 हेक्टेयर (130.54 एकड़) भूमि के हस्तांतरण का अनुरोध किया गया था। संबंधित संस्थान द्वारा सी.एस.आई.डी.सी. को लीज राशि जमा करने के बाद लीज डीड हस्ताक्षरित की गई है। इस मामले को मीडिया ने उजागर किया।
मीडिया के इस खुलासे को विधानसभा के बजट सत्र में विपक्ष ने मुद्दा बनाकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। लगातार बढ़ते दबाव को देखते हुए सरकार को आखिरकार बैकफुट पर आना पड़ा और मामले की जांच विधायकों के संयुक्त दल से कराने की घोषणा की गई। संसदीय कार्य मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे ने मंत्रणा के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष नारायण चंदेल के सभापतित्व में पांच सदस्यीय समिति बनाई, जिसमें भाजपा के देवजी पटेल, दीपक पटेल तथा कांग्रेस के धर्मजीत सिंह व मोहम्मद अकबर सदस्य हैं। बांध मामले की जांच के लिए समिति के अध्यक्ष के साथ सभी सदस्य 17 अप्रैल को दोपहर लगभग 12.15 बजे रोगदा गांव पहुंचे, जहां उन्होंने बांध का स्थल निरीक्षण किया। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण भी वहां इकट्ठे थे। बांध स्थल के निरीक्षण के बाद जांच समिति रोगदा गांव पहुंची, जहां ग्रामीणों ने अपनी शिकायतें व बांध से संबंधित कागजात विधानसभा की जांच समिति को सौंपे। इस मौके जांच समिति ने जिला प्रशासन व सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बांध से संबंधित सभी जानकारियां ली।
मौके पर मौजूद रोगदा के ग्रामीणों ने जांच समिति के पदाधिकारियों को बताया कि बांध से क्षेत्र की सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई होती थी, जिसे पावर प्लांट को दिए जाने के बाद क्षेत्र में सिंचाई की समस्या बढ़ रही है। ग्रामीणों से बातचीत के बाद जांच समिति के पदाधिकारियों ने कलेक्टर ब्रजेश चंद्र मिश्र तथा अन्य अधिकारियों से बांध की उपयोगिता तथा जल भराव क्षेत्र आदि की जानकारी ली। रोगदा क्षेत्र में करीब 2 घंटे तक चली जांच-पड़ताल के बाद विधानसभा जाँच समिति के पदाधिकारियों ने जांजगीर स्थित सर्किट हाउस में कलेक्टर ब्रजेश चंद्र मिश्र, पुलिस अधीक्षक डा। आनंद छाबड़ा सहित सिंचाई व राजस्व विभाग के अधिकारियों की बैठक भी ली तथा बांध से जुड़े तमाम दस्तावेज समिति को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए विधानसभा के उपाध्यक्ष तथा जांच समिति के अध्यक्ष नारायण चंदेल ने बताया कि विधानसभा द्वारा गठित समिति को मानसून सत्र में सदन के पटल पर रिपोर्ट रखने के निर्देश दिए गए हैं। इस मसले पर समिति के सदस्यों की पहली बैठक 15 अप्रैल को हुई, जिसमें सबसे पहले स्थल निरीक्षण करने की सहमति बनी। इस आधार पर समिति के पदाधिकारियों ने आज रोगदा पहुंचकर बांध की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद समिति की बैठक आयोजित कर जांच की संपूर्ण रूपरेखा तैयार की जाएगी। समिति के सदस्य विधायक धर्मजीत सिंह व देवजी पटेल ने बताया कि जांच के पहले चरण में ग्रामीणों से बातचीत की गई है। साथ ही बांध से संबंधित दस्तावेज तथा अन्य जानकारियां समिति को उपलब्ध कराने का उनसे आग्रह किया गया है। जांच समिति की आगामी बैठक में इस मसले पर नियम व प्रक्रिया तैयार किए जाएंगे। यदि आवश्यकता हुई तो रोगदा क्षेत्र में चौपाल लगाकर जनसुनवाई भी कराई जाएगी। जांच प्रक्रिया अत्यंत ही गोपनीय ढंग से पूर्ण की जा रही है। कार्रवाई पूर्ण होने के बाद सारे तथ्य उजागर किए जाएंगे।
जांच के प्रमुख बिन्दु
0 किन परिस्थितियों में बांध को बेचा गया है।
0 बांध के बिकने से क्षेत्र में किस तरह की समस्या हो रही है।
0 बांध का निर्माण कब हुआ तथा इसमें किसानों की कितनी जमीन ली गई थी।
0 बांध का प्रमुख रूप से किस कार्य में उपयोग हो रहा था।
0 बांध बिकने के पूर्व इसकी ग्रामीणों को खबर थी या नहीं।
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