For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऊंचाई की तन्हाई ( लघु कथा)

रामप्रकाश बाबू ने बस थोड़ी सी बेवफाई ही तो शुरू किया दफ्तर में अपने  ईमान से कि सब जादू सा बदलने लगा . ईमान का स्तर थोडा नीचे क्या किया,रहन सहन ,खान-पान ,ऐश-मौज सबका स्तर ऊंचा होते गया . उड़ान ने ऐसी रफ़्तार पकड़ी कि साथ के यार दोस्त वहीँ नीचे ही रह गएँ .

होली का दिन था ,शहर की महँगी मिठाइयाँ टेबल पर सजी रखी  हुई थीं . यारों की टोली आ रही थी......... लेकिन ये क्या कोई उनकी तरफ आया ही नहीं उन्होंने हाथ भी हिलाया पर सब आपस में मशगूल थें .आज अलमारी में रखे  नोटों पर हाथ फिराने इच्छा नहीं हुई . आज अपने अकिंचन स्वर्ण भवन की क्षुद्रता रामप्रकाश बाबू को खल गयी .

.

( मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 514

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on July 19, 2015 at 1:38pm

आदरणीय Rita Gupta जी

बहुत अच्छी लघुकथा  । बधाई । केवल कुछ क्लिष्ट शब्द प्रवाह में बाधा दाल रहे है ।

Comment by Rita Gupta on July 18, 2015 at 7:09pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी ,आभार .कृपया त्रुटियों की ओर इंगित करें ताकि सुधार सकूँ .

Comment by TEJ VEER SINGH on July 17, 2015 at 10:26am

आदरणीय रीता गुप्ता जी,मनुष्य की पैसे की पीछे भागने की पृवृति का अच्छा चित्रण किया है साथ ही उसके दुष्परिणाम पर भी इशारा किया है!आपकी लघुकथा अच्छा संदेश देती है!एक दो मामूली सी त्रुटियां हैं उनको सुधार दें!हार्दिक बधाई!

Comment by Rita Gupta on July 17, 2015 at 12:19am
आदरणीय मिथिलेश जी बहुत आभार ,मैं भी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रही हूँ .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 11:52pm

आदरणीया रीता जी इस प्रस्तुति पर बधाई 

कथ्य और शिल्प पर गुनीजनों के मार्गदर्शन की प्रतीक्षा है. 

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service