For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" आज कैसे याद किया , कोई काम था क्या ?
" नहीं यार , बस यूँ ही तुम्हारी याद आई और चला आया "|
कुछ देर बात चीत चलती रही और फिर वो उठ कर चल दिया | घर पहुँचते ही पत्नी ने पूछा " बात की उनसे , क्या कहा उन्होंने !
" हाँ , कहा तो हैं , देखो क्या होता हैं "|
" जब झूठ बोल नहीं सकते तो क्यों कोशिश करते हो | उनका फोन आया था , कह रहे थे जरूर कोई बात थी लेकिन मुझे बताया नहीं | अभी भी अपने उसूलों का पक्का हैं "|
" देखो तुम्हारे इतना कहने पर मैं चला तो गया था लेकिन कहते नहीं बना | खैर कहीं न कहीं मिल ही जाएगी उसको नौकरी "|
" हाँ , कुछ न कुछ तो कर ही लेगा बेटा , लेकिन तुम्हारे उसूलों की कीमत पर नहीं " और उसने उनका हाँथ अपने हांथों में कस कर थाम लिया | उनके चेहरे पर गहरे सुकून का भाव छा गया , उनके उसूल अभी भी अक्षुण्ण थे |
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 8, 2015 at 10:16am

 बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , सादर धन्यवाद..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 1:27am

वाह ! 

दिल से शुक्रिया ऐसी प्रस्तुति केलिए.
शुभ-शुभ

Comment by विनय कुमार on July 1, 2015 at 12:15am

बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी , सादर ..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 1, 2015 at 12:11am

जिन्दगी में उसूल ही तो है जिसके बदौलत आदमी महान बनता है वरना....बहुत अच्छी लघुकथा हुई है! आदरणीय विनय कुमार जी!

Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 11:01pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री सुनील जी , सच्चाई और उसूलों का मार्ग कंटक युक्त ही होता है.

Comment by shree suneel on June 28, 2015 at 6:48pm
प्रभावित करती लघु-कथा... उसूलों के पक्के लोगों के साथ थोड़ी मुश्किलें तो होती हैं लेकिन एक संतोष भी होता है.
बधाई आपको इस प्रस्तुति के लिए आदरणीय.
Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 2:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , लघुकथा आपको पसंद आई । उसूलों पर टिके रहना आसान नहीं होता.

Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 2:55pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , लघुकथा आपको पसंद आई .

Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 2:54pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथलेश वामनकर जी , लघुकथा आपको पसंद आई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2015 at 2:10pm

बहुत सुन्दर कथा लगी भाई विनय जी , हार्दिक बधाइयाँ । हर उसूल पसंद को अच्छी ही लगेगी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service