For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बारिश की पहली बूँदें (मुक्त कविता)

बारिश की पहली पहली फुहार

और सिग्नल का ये इंतज़ार

नजरें बरबस विंड स्क्रीन पर अटक गयीं

बारिश की बूँदें ढल रही थीं

एक एक कर बड़ी कठिनाई से बूँद सरकती

धीरे से दूसरी बूँद से जा मिलती

फिर थोड़ी सी रफ़्तार बढती

दोनों मिलकर तीसरी बूँद से मिलती

और फिर तेज़ रफ़्तार से ढुलक जाती

 

सोचें सरकने लगीं यूँ ही

कारवां भी ऐसे ही बनता है

किसी नए इंसान से मिलना

काफी कठिन लगता है पहली बार

दो मिलकर तीसरे से मिलने की

फिर हिचक कम हो जाती है

धीरे धीरे भीड़ बन जाती है

और बनता कारवां आसानी से

 

फिर लगा ज़िन्दगी भी तो ऐसी ही है

पहली कठिनाई बहुत मुश्किल लगती है

बहुत संघर्ष होता है मानसिक -शारीरिक

दूसरी मुश्किल फिर आसान लगती है

और धीरे धीरे संघर्ष की आदत हो जाती है

 

जीवन की सच्चाई भी आदत डाल देती है

पहला धोखा बहुत रुलाता है तड़पाता है

दुसरे धोखे में हम समझदार होते हैं

और फिर दर्द की आदत हो जाती है

 

कितना कुछ सिखा गयी ये बूँदें बारिश की

मुझे ज़िन्दगी से मिला गयी ये बूँदें बारिश की 

निधि 

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1166

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 6, 2015 at 12:41am

आदरणीया निधिजी, आपकी इस रचना की गहराई प्रभावित करती है. बारिश की बूँदों का ग्लास-पैन पर लम्बवत अधोगति के साथ सरकने को कई भावनाओं से आपने जोड़ कर देखा है. सही मनोदशा की वैचारिकता अधोगामी प्रतीत होने लगे तो व्यक्ति को सचेत हो जाना चाहिये.
हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by shree suneel on June 18, 2015 at 9:35pm
आदरणीया निधि जी, आपकी इस प्रस्तुति ने बहुत प्रभावित किया. सुन्दर.. सार्थक... हार्दिक बधाई आपको.
Comment by shashi bansal goyal on June 18, 2015 at 4:36pm
आद0 निधि जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक कविता हुई है । हार्दिक बधाई ।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2015 at 6:38pm

भावपूर्ण सुंन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई, आ0 निधी जी.

Comment by Nidhi Agrawal on June 17, 2015 at 9:54am

आप सभी मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 17, 2015 at 8:49am

वाह वाह! आपकी इस रचना ने मन मोह लिया..बहुत बेहतरीन कविता! हार्दिक बधाई व् शुभकामनाए आ. निधि जी!

Comment by kanta roy on June 16, 2015 at 11:25pm
बारिश की बूंदों की सरगोशी भी ....कुछ कुछ ढलकी ढलकी सी ..... बडी़ ही रूमानियत से आपने बूंदों की हरकतों को अपने अल्फाजों में पिरोया है ...जिंदगी की मुश्किलों को , संघर्षों तक का फासला , दुख दर्द से भी भिगो गया ... ये बूंद बहुत कुछ स्वंय में पिरो गया । लाजवाब रचना हुई है आपकी आदरणीया निधी अग्रवाल जी
Comment by Samar kabeer on June 16, 2015 at 11:12pm
मोहतरमा निधि अग्रवाल जी,आदाब,बहुत दिनों से आपकी कोई ग़ज़ल नहीं सूनी,ये प्रयास भी जारी रखिये,आपकी यह कविता बहुत पसंद आई,इस सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें ।
Comment by मनोज अहसास on June 16, 2015 at 10:28pm
बहुत खूब
Comment by narendrasinh chauhan on June 16, 2015 at 5:02pm

लाजवाब खूब सुन्दर रचना

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service