For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अर्जी (लघुकथा)/ रवि प्रभाकर

‘जी अब तो पेन्शन की अर्जी पास हो जाएगी ना ?’

अपने कपड़ों को ठीक करते हुए कमरे से बाहर निकलती हुई शहीद फौजी की विधवा ने मंत्री जी के पी.ए. से पूछा
‘अब तो काम हुआ ही समझो ! बस यह अर्जी कल एक बार डाॅयरेक्टर साहिब के पास भी ले जानी होगी'।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 848

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on May 10, 2015 at 10:42am
हर कहीं गिद्ध बैठे है तलाश में किसी जिंदा लाश की .....भूख ऐसी है कि ये मिटती ही नहीं ..... मजबूरीयों को कब तक बिकना होगा ..... आखिर कही तो अंत हो ये गिद्ध ...सदियों से इन गिद्धो ने लाचारी का माँस खाया है अब और नही ....... कुछ तो अब जरूर करना है .....इन गिद्धों को मारना है या मर जाना है ...... अब जो हो सो हो ....... आभार आदरणीय रवि प्रभाकर सर जी ..... चंद पंक्तियों ने मन में एक ज्वार सी पैदा कर दी ...इसलिए कुछ ज्यादा कह गई ...... क्षमा
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 10, 2015 at 10:27am

आ० रवि सर! सरकारी व्यवस्था पर कटाक्ष करती सटीक लघुकथा हुयी है,ऐसी घटनाए शर्म से सर झुका लेने को मजबूर कर देती है!

Comment by मनोज अहसास on May 9, 2015 at 9:16am
सर आप संवेदनशीलता को मैं प्रणाम करता हूँ
यदि लघुकथा किसी सत्य घटना से प्रेरित है तो बहुत दुर्भाग्य के दिन भारत में है और मै आपको बधाई देता हूं सफल अभिव्यक्त करने के लिए................
और यदि कथा केवल कल्पना पर आधारित है और आप व्यवस्था पर चोट करना चाहते है तो आप फ़ौज़ी की जगह दूसरा उदाहरण लेते तो अच्छा रहता .....
कम से कम शहीदों के विषय में निर्मित रचनाये बहुत चिंतन और आदर्शवाद पर आधारीत होनी चाहिये
त्रुटि के लिए अग्रिम क्षमा याचना
Comment by Ravi Prabhakar on May 9, 2015 at 7:42am

आभारी हूं आदरणीय जितेन्‍द्र भाई कि आपने रचना को समय दिया ।

Comment by Ravi Prabhakar on May 9, 2015 at 7:40am

धन्‍यवाद शशि बांसल जी, आपको इस मंच पर देखना सुखद लगा ।

Comment by Ravi Prabhakar on May 9, 2015 at 7:39am

लघुकथा के मर्म को समझने व अपना अमूल्‍य समय देने हेतु आपका धन्‍यवाद आदरणीय श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय जी।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 9, 2015 at 12:50am

मन को झकझोर कर रख देती लघुकथा , आदरणीय रवि जी. बहुत-बहुत बधाई आपको

Comment by shashi bansal goyal on May 8, 2015 at 6:41pm
सीधे मस्तिष्क और मौजूदा व्यवस्था पर चोट करती लघु कथा ।बहुत बधाई आदरणीय रवि प्रभाकर जी ।
Comment by Omprakash Kshatriya on May 8, 2015 at 4:15pm
इज्जत की अर्जी कहाँ-कहाँ पेश करनी होती है . यह तो कोई भुक्तभोगी ही बता सकता है . आदरणीय रवि प्रभाकर जी आप की सटीक व सारगर्भित रचना के लिए शुभकामनाए व बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service