For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या आप सच में वैसे ही हैं ? --- अतुकांत ( गिरिराज भंडारी )

मेरे सबसे प्रिय रचनाकार  

कभी प्रत्यक्ष मिला नहीं आपसे

सपना है मेरा ,

आपसे मिलना , बातें करना

घंटों ,

किसी झील के किनारे

सूनसान में

 

आपकी हर रचनायें

गढती जाती है

मेरे अन्दर आपको

बनती जाती है

आपकी छवि ,

कभी धुंधली , कभी चमक दार , साफ साफ

क़ैद है मेरे दिलो दिमाग़ में

आपकी रचनाओं की सारी खूबियों के साथ

आपकी एक बहुत प्यारी छवि

 

क्या आप सच में वैसे ही हैं

जैसी आपकी रचनायें बनातीं हैं आपको

मन डरता भी है

कभी कभी

सोचने लगता है  

आपकी रचनायें आपके दिल का अनुवाद है या नहीं ?

कहीं दिमागी गुणा भाग ही न हो

शब्दों से अर्थ कमाने की

एक नितांत बाहरी कोशिश मात्र

 

मन डरता है , मिलने से

ख़्वाब के टूट जाने की आशंकाओं से

क्या आप सच में वैसे ही हैं

जैसी आपकी रचनायें  ? ॥

**********************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 830

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on January 30, 2015 at 11:32am

क्या आप सच में वैसे ही हैं

जैसी आपकी रचनायें बनातीं हैं आपको

मन डरता भी है

कभी कभी

सोचने लगता है  

आपकी रचनायें आपके दिल का अनुवाद है या नहीं ?

कहीं दिमागी गुणा भाग ही न हो

शब्दों से अर्थ कमाने की

एक नितांत बाहरी कोशिश मात्र

 एक पाठक मन के कितने बेतहरीन सवाल उठाए आपने |एक पाठक बनकर ये सवाल हर लेखक के मन भी अवश्य उठता है |ऐसा यकीन है |पर सच्च है लेखक एक शब्द-शिल्पी होता है |गुणा-भाग करके वही दिखाता है जो वो दिखाना चाहता है |बधाई इस बेहतरीन विचार-मंथन पे |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 30, 2015 at 8:02am

आदरणीय विजय भाई , रचना के अनुमोदन और सराहना के लिये आपका दिली शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 30, 2015 at 8:01am

आदरणीयमिथिलेश भाई , सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये बहुत आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 30, 2015 at 8:00am

आदरणीय विरेन्दर वीर भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 30, 2015 at 7:59am

आदरणीय बागी भाई जी , आपकी सराहना करती प्रतिक्रिया ने लेखन कर्म सार्थक कर दिया । आपका हृदय से आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 30, 2015 at 7:57am

आदरणीय हरि प्रकाश भाई , आपका  बहुत बहुत शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 30, 2015 at 7:57am

आदरनीय नादिर खान भाई , बहुत दिनों बाद आपके दर्शन हुये , बहुत अच्छा लगा । आपकी सराहना के लिये आपका अभार ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 30, 2015 at 2:00am
बड़ी स्वाभाविक ही जिज्ञासा है, बड़ी मासूम सी रचना है. बधाई , आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 30, 2015 at 12:58am

कविता सीधे दिल में उतर गई. खो गया हूँ इस रचना के सौन्दर्य में. सीधे सादे, सरल और सहज शब्दों में मार्मिक कविता. नमन गिरिराज सर. 

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on January 29, 2015 at 10:09pm
........ कहीं दिमागी गुणा भाग ही न हो
शब्दों से अर्थ कमाने की ... ...
अति सुन्दर. ... आज के समाज में हर वस्तु के व्यवसायीकरण होने को रेखाकिंत करते ये शब्द लाजवाब है। आदरणीय गिरिराज भंडारी जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service