For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - ' कहीं है आग जलती सी ' ( गिरिराज भंडारी )

1222     1222     1222      1222   

 

कहीं कुछ दर्द ठहरा सा , कहीं है आग जलती सी

कभी सांसे हुई भारी , कभी हसरत मचलती सी

कभी टूटे हुये ख़्वाबों को फिर से जोड़ता सा मै

कभी भूली हुई बातें मेरी यादों में चलती सी

कभी होता यक़ीं सा कुछ , कहीं कुछ बेयक़ीनी है

तुझे पाने की उम्मीदें कभी है हाथ मलती सी

कभी महफिल में तेरी रह के मै तनहा सा रहता हूँ

कभी तनहाइयों में संग पूरी भीड़ चलती सी

कभी बेबात ही ये ज़िंदगी वीरान लगती है

कभी बेजान साया देख के थोड़ी बहलती सी

कभी ये लड़खड़ाती है बहुत हमवार राहों मे

कभी ये ज़िन्दगी काटों में भी घिर के सँभलती सी

कभी ये शांत बहती है कोई गहरी नदी हो ज्यूँ

पहाड़ी सी नदी जैसी कभी बेहद उछलती सी  

*******************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

Views: 994

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2014 at 5:00pm

आदरणीय सौरभ भाई , आपकी सराहना के योज्ञ कुछ कह पाया , जान कर बेहद खुशी हुई , सब आप सब की सीख का ही नतीजा है , आपका तहे दिल से शुक्रिया !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2014 at 1:57am

आप इस ग़ज़ल को अपनी डायरी में विशेष रूप से अंकित कर लें. यह आपकी प्रतिनिधि ग़ज़लों में से है, आदरणीय गिरिराजजी.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 19, 2014 at 8:09pm

आदरनीया प्राची जी , आपकी सराहना ने मेरा हौसला बढा दिया , सराहना कर हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 19, 2014 at 6:44pm

जिस सहजता से मन के भाव बह निकले हैं..... उस पर मन मुग्ध है 

कभी टूटे हुये ख़्वाबों को फिर से जोड़ता सा मै

कभी भूली हुई बातें मेरी यादों में चलती सी

कभी होता यक़ीं सा कुछ , कहीं कुछ बेयक़ीनी है

तुझे पाने की उम्मीदें कभी है हाथ मलती सी

सभी अश'आर शानदार हुए हैं पर ये दो शेर तो बिकुल अपनी सी बात कहते से लगे ...

बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 15, 2014 at 5:34pm

आदरणीय नीरज ' प्रेम ' भाई , आपकी स्नेह सिक्त सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

Comment by Neeraj Nishchal on April 15, 2014 at 1:08pm

आदरणीय गिरिराज जी ग़ज़ल के आकाश में हज़ारों ही सितारे होंगे
पर आप तो चाँद हैं जिनके सामने हर सितारे की रौशनी फीकी लगती है
भावनाओं का इतना सुन्दर मंथन कि पढ़ करे आँखों से आंसुओं के अमृत
झरने ही लगते हैं कुछ अंदर पिघलने ही लगता है
और हम तारीफ के लिए शब्द ढूंढने में खुद को असहाय महसूस करते हैं ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 14, 2014 at 7:49pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 14, 2014 at 7:14pm

कभी महफिल में तेरी रह के मै तनहा सा रहता हूँ

कभी तनहाइयों में संग पूरी भीड़ चलती सी

आदरणीय गिरिराज भाई। सुन्दर भाव युक्त गजल सभी अशआर अच्छे
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 14, 2014 at 11:38am

आदरणीय लक्ष्मण भाई सराहना के लिये आपका शुक्रिया !! आपकी सलाह भी बहुत अच्छी लगी , कोई और जानकार उस मिसरे को गलत कहते हैं तो मै ज़रूर आपकी सलाह पर अमल करूँगा !! आपकी सलाह के लिये आपका बहुत आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 14, 2014 at 11:35am

आदरणीय अनुराग भाई , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
17 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service