For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे गर्मी के/कल्पना रामानी

चुपके-चुपके चैत ने, घोला अपना रंग।

और बदन की स्वेद से, शुरू हो गई जंग।

 

पल-पल तपते सूर्य की, ऐसी बिछी बिसात।

हर बाज़ी वो जीतकर, हमें दे रहा मात।

 

लू लपटों ने कर लिया, दुपहर पर अधिकार।

दिन भर तनकर घूमता, दिनकर चौकीदार।

 

हरियाली गुम हो गई, प्रखर हो गई धूप।

पीत वर्ण अब हो चला, उद्यानों का रूप।  

 

व्याकुल पंछी फिर रहे, सूखे कंठ उदास,

जाएँ कहाँ निरीह ये, बुझे किस तरह प्यास।

 

तरण ताल सूखे सभी, बालक हैं गमगीन।

वन जीवन प्यासा फिरे, जल बिन तड़पी मीन।

 

नमी हवा खोने लगी, मुरझाए तृण पात।

रातों की ठंडक घटी, गुमी शबनमी प्रात।

 

बात “कल्पना” मानिये, सेहत रखें बहाल,

सुबह-शाम  टहला करें, दिन बीते खुशहाल।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1056

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on April 1, 2014 at 7:35pm

आ॰ प्राची जी आपकी साराहना से मन प्रफुल्लित हुआ। आपका मन से  धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on April 1, 2014 at 7:33pm

आदरणीय सौरभ जी, यहाँ तो गर्मी बहुत तेज़ हो गई है, और कुछ भाव बनते ही नहीं, वहाँ शायद कुछ देर से मौसम बदलता होगा। आपको दोहे पसंद आए, संतोष हुआ। आपका हार्दिक धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 1, 2014 at 6:37pm

ग्रीष्म ऋतु पर बहुत सुन्दर दोहावली प्रस्तुत की है आ० कल्पना जी 

बहुत बहुत बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 28, 2014 at 2:19am

वाह !! ग्रीष्म का वातावरण ही नहीं तारी हुआ. पूरी ऋतु आ गयी. बहुत अच्छे दोहों के लिए हार्दिक बधाइयाँ आदरणीया कल्पनाजी.

हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by कल्पना रामानी on March 25, 2014 at 9:52pm

प्रिय कल्पना जी, सरिता जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on March 25, 2014 at 9:51pm

आदरणीया कुंती जी, आपको रचना पर देखकर सुखद अहसास हुआ।  परिवार के साथ तो वैसे भी मौसम कोई भी हो अच्छा ही बीतता  है,

फिर गर्मी क्यों न सुखकर होगी/सादर  

 

Comment by कल्पना रामानी on March 25, 2014 at 9:47pm

आदरणीया  राजेश जी, आपको दोहे पसंद आए, मन प्रफुल्लित हुआ। आपका मन से धन्यवाद  

Comment by कल्पना रामानी on March 25, 2014 at 9:45pm

आदरणीय प्रदीप जी, सादर धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on March 25, 2014 at 9:44pm

आदरणीय गणेश जी, रचना पर आपकी उपस्थिति से मन हर्षित हुआ। दोहों की प्रशंसात्मक टिप्पणी द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।

Comment by Sarita Bhatia on March 24, 2014 at 10:12am

दी खुबसूरत दोहों के साथ गर्मी का स्वागत ,बधाई आपको 

पर मौसम अजब गजब है 

इसी पर पढ़िए मेरी अगली पोस्ट 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
26 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
32 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
35 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
35 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
56 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
57 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service