For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारे ही सहारे से मेरा हर पल गुजरता है,
तुझ में डूब कर के ही मेरा पल-पल गुजरता है|

मै कितना प्यार करता हूँ तुम्हे किस तरह बतलाऊं,
जो बेहोश हूँ तेरी याद में क्यों होश में आऊं|

हसीं हो तुम बहुत सचमुच बहुत ही खुबसूरत हो,
बस आशिक मै नहीं तेरा, सभी की तुम जरुरत हो|

तुम्हारे होंठ तो मुझको कोई गुलाब लगते है,
तुम्हारी झील सी आँखें है या शराब लगते है|

गुजारूं रात मै कोई तेरी जुल्फों की छावों में,
यही इच्छा मेरी बस जाऊं मै तेरी निगाहों में|

तुम तो रात भर मुझको बहुत ही याद आती हो,
जो सोता हूँ तो आकर सपने में जगाती हो|

तुम्हारे साथ हैं मजबूरियां मै भी समझाता हूँ,
जब तुम बात करती हो किसी से तो मै जलता हूँ|

वफ़ा मानो मेरी वफ़ा से क्यों इंकार करती हो,
बेवफा हूँ अगर तो मुझसे तुम क्यों प्यार करती हो|

अगर ऐसी बात बात है तो सुबूत.....................

मेरे ही खून से तुम हाथ की मेहंदी रचा लेना,
दे दूंगा जान भी अपनी कभी तुम आजमा लेना|

Views: 766

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by rohit kumar sahu on April 19, 2011 at 4:31pm
jalne to sab ko aata hai, par jalan ka maza to tab hai jab jalane wala hi apna mahboob ho
Comment by आशीष यादव on February 13, 2011 at 10:01am
akshay sir, dhanywaad
Comment by Akshay Thakur " परब्रह्म " on February 13, 2011 at 9:13am
बहुत बढ़िया आशीष भाई | कुछ पंक्तियाँ मेरी तरफ से -
"तेरी सूरत ही ऐसी है
कभी आँखों में बस जाए

कभी सपनों में आ जाए 
कभी ये गुदगुदाए 
और फिर हंसकर चली जाए |"
-"परब्रह्म"
Comment by आशीष यादव on February 7, 2011 at 7:43am
आदरणीय  rana सर, आप को अच्छा लहा जन कर मुझे बेहद ख़ुशी हुई| मै तो आप लोगो की देख रेख में कुछ सिख रहा हूँ| आप लोग आशीर्वाद बनाए रखें|

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on February 5, 2011 at 10:10am

आशीष जी सुन्दर भावाभिव्यक्ति है.....बहुत पहले साहिर ने लिखा था

तुममे हिम्मत है तो दुनिया से बगावत कर लो 

वरना मां बाप जहाँ कहते हैं शादी कर लो

 

लिखते रहिये ..धीरे धीरे और भी परिपक्वता आ जाएगी|

Comment by आशीष यादव on February 5, 2011 at 7:44am
आदरणीय गोपाल जी, आदरणीया शारदा जी, आदरणीय अरुण कुमार सर, आदरणीया लता जी, आदरणीय रवि कुमार गिरी 'गुरु जी', आदरणीय डॉ ब्रिजेश कुमार तिपाठी सर, एवं राजू भैया  मेरी हौसला आफजाई के लिए लिए आप लोगो को बहुत बहुत धन्यवाद| आप लोगो की हौसला आफजाई हमें और प्रोत्साहित करती है कुछ और एवं अच्छा लिखने को|   मुझे उम्मीद है की आप लोगो का ये आशीर्वाद मेरी और रचनाओं को भी मिलेगा|
Comment by Raju on February 4, 2011 at 10:48pm
bahut badhiya Ashish bhai...........
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on February 4, 2011 at 6:25pm
priy ashish ji prem ko shabdon ke naye naye  kalewar saja kar prastut karne me maharat hashil hai aapko ...sundar prem prastuti ke liye dhanyawad.
Comment by Rash Bihari Ravi on February 4, 2011 at 5:52pm
khubsurat lajabab
Comment by Lata R.Ojha on February 4, 2011 at 3:13pm
प्रेम के अनेक रूप हैं लेकिन अपने हर रूप में ये मनभावन भी है ..
प्रेम को गहराई देना अपने ही हाथ होता है. कोई दर्द में भी सुख पा लेता है तो कोई अत्यधिक पाने की चाह में घुलता जाता है ..
किसी को बस पाना या किसी को तडपाना ही प्रेम नहीं ,प्रेम तो एक अनुभूति है  और उस अनुभूति जिए जाना प्रेम की गहराई..
सुन्दर अभिव्यक्ति  :) 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service