For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मसूरी के हिमपात पर

बर्फ की ये चादरी सफ़ेद ओढ़कर
पर्वतों की चोटियाँ बनी हैं रानियाँ
पत्ती पत्ती ठंड से ठिठुरने लगी,
फूल फूल देखिये हैं काँपते यहाँ ।

काँपती दिशाएँ भी हैं आज ठंड से,
बह रही हवा यहाँ बड़े घमंड से ।
बादलों से घिरा घिरा व्योम यूं लगे,
भरा भरा कपास से हो जैसे आसमाँ।। पर्वतों की .....


धरती भी गीत शीत के गा रही,
दिशा दिशा भी मंद मंद मुस्कुरा रही।
झरनों में बर्फ का संगीत बज उठा,
और हवा गा रही है अब रूबाईयाँ॥ पर्वतों की .....

पंछी हैं की नीड़ से निकलते नहीं,
जानवर भी ठंड में मचलते नहीं ।
इंसान का ये सौंदर्य प्रेम देखिये,
दूर दूर से चले हैं घूमने यहाँ ॥ पर्वतों की .....

चूम रही चोटियाँ भी आसमान को,
प्रेम का संदेश दे रही जहान को।
क्षितिज पर धरा गगन यूं मिल रहे,
रति का मदन से ज्यों मिलन हो गया॥ पर्वतों की .....


प्रदीप बहुगुणा ‘दर्पण’
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 1, 2014 at 2:13am

भाई प्रदीपजी, आपकी काव्य प्रतिभा से परिचित कराती यह कविता सुन्दर बन पड़ी है, कुछ तथ्य अवश्य हैं जिनका जान लेना आपके कथ्य को गहन कर देंगे. लेकिन अभी बस बधाइयाँ स्वीकारिये.
हार्दिक शुभेच्छाएँ.
 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 27, 2014 at 4:26pm

मंसूरी की बर्फ से घिरी वादियों में कुदरत प्रदत्त प्राकृतिक सौन्दर्य में मग्न कवि हृदय से निस्सृत झूमता झूमता गीत 

बहुत सुन्दर शब्दों में प्रकृति की ख़ूबसूरती को कैद किया है... आ० प्रदीप बहुगुणा जी.

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by Pradeep Bahuguna Darpan on January 24, 2014 at 8:52pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी व अरुन शर्मा 'अनन्त' जी आपकी मूल्यवान टिप्पणियों के लिए बहुत बहुत आभार ..... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 24, 2014 at 5:35pm

आदरणीय प्रदीप भाई , बहुत सुन्दर प्रकृति वर्णन किया है आपने , आपको बधाइयाँ ॥

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 24, 2014 at 4:52pm

भाई प्रदीप जी मसूरी में सर्दी के मौसम में होने वाली छोटी छोटी बातों का बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने. रचना अच्छी लगी बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
36 minutes ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service