For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- अब राजनीति सबकी रगों में समा गई

2 2 1 2 1 2 1 1 2 2 1 2 1 2

अब राजनीति सबकी रगों में समा गई

विश्वास खो गया,तो कंही आस्था गई ।।

मैं देखता हूँ मेरे नगर में ये क्या हुआ, 

लडकी खुशी-खुशी से ही इज्जत लुटा गई।

हर मोड पर जो शहर के आवारगी खडी, 

मैं क्या करूँ बजुर्गों की चिन्ता बढा गई।

बादल न जाने किसके हवन पर गया कंही,

रूठी  हुई  सी  तन्हा  अकेली  हवा गई।

महफिल में ही किसी ने मेरी बात छेड दी,

सुनते ही इतना रूप की गागर लजा गई।

मैं इन्तजार में खडा था रेलगाडी की,

पागल हवा अकेली थी,नज़रें लडा गई।  

यह ग़ज़ल- मौलिक व अप्रकाशित है।

Views: 814

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on April 3, 2014 at 10:46pm

जब राजनीति हाथ पसारे दिखाई दे।

जब अपना भी किनारे-किनारे दिखाई दे।।

उस वक़्त राजनीति में नेता को छान लो,

बेदाग,साफ जो हो उसे नेता मान लो ।।

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 27, 2014 at 12:03am

अजय कुमार सिंह..आपका धन्यवाद भाई

Comment by अजय कुमार सिंह on January 26, 2014 at 2:09am

मतला खूब पसन्द आया सूबे सिंह जी. हार्दिक बधाई.

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 20, 2014 at 4:34pm

वीनस केसरी,

भाई साहब आपकी मेहरबानी.......शुक्रिया

Comment by वीनस केसरी on January 20, 2014 at 2:58am

महफिल में ही किसी ने मेरी बात छेड दी,

सुनते ही इतना रूप की गागर लजा गई।

वाह हुज़ूर शानदार ग़ज़ल हुई है ... ढेरो दाद

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 19, 2014 at 2:39pm

जितेन्द्र 'गीत',

जी , आपके शब्दों से , ापकी हौंसला अफजाई  से मुझे भी हौंसला मिला है धन्यवाद

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 17, 2014 at 10:35am

हर मोड पर जो शहर के आवारगी खडी, 

मैं क्या करूँ बजुर्गों की चिन्ता बढा गई।

बादल न जाने किसके हवन पर गया कंही,

रूठी  हुई  सी  तन्हा  अकेली  हवा गई।

बहुत खुबसूरत गजल, यह शेर खास हुए दाद कुबूल कीजिये आदरणीय  सूबे सिंह जी

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 17, 2014 at 9:26am

बृजेश नीरज

जी ापकी बात सही है। लेखन में त्रुटि हुी है।

 सलाह के लिये आपका शुक्रिया, 

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 17, 2014 at 9:05am

रमेश कुमार चौहान,   जी रमेश जी बधाई स्वीकार है। आपका प्यार व स्नेह प्राप्त हुआ धन्यवाद

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 17, 2014 at 9:04am

योगराज प्रभाकर, योगराज जी , नमस्कार..आपकी बात वाज़िब है। आपका स्नेह मिला बहुत बहुत शुक्रिया। उम्मीद है भविष्य में भी आपका स्नेह बराबर मिलता रहेगा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service