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सफ़र को हसीं - सा इक मोड़ दीजिए ,
मंजिलें दो दिलों की जोड़ दीजिए |
 
ऐ खुदा ! करने ग़ैरों की भलाई ,
दुनियावालों में कभी होड़ दीजिए |  
 
भरे जो कड़वाहट कभी यूँ दिल में ,
धोकर इसे प्यार से निचोड़ दीजिए |
 
कब तक हमें बाँटोगे सरहदों में ,
मिटाकर लकीरें अब जोड़ दीजिए |
 
मिटाने गरीबी जो सच्ची हो मंशा ,
रखे परदेस में गुल्लक फोड़ दीजिए |
 
क्या हुआ जो सौ में बस दस ही मिली ,
बन किंगमेकर एक गठजोड़ दीजिए |
 
हिम्मत की आग में मेहनत तपाकर ,
तकदीर की लकीरें मोड़ दीजिए |
 
जकड़े कदम बेड़ियाँ जो बनकर ,
रुढियों को ऐसी तोड़ दीजिए |
 
निकल आएंगे राम अंदर से उसके ,
रावण को इक दफा झंझोड़ दीजिए |
 
करे जो कोई चोट अपने वतन पे ,
तो दुश्मन को जवाब मुंह-तोड़ दीजिए |

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Comment

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Comment by Veerendra Jain on February 5, 2011 at 9:32pm
 Anu Shri...gazal pasand karne aur hausla afzai ke liye bahut bahut aabhar... aage bhi apni beshkimati raay avashya dijiyega...dhanyawad...
Comment by Veerendra Jain on February 5, 2011 at 9:31pm
 Tiwari Sir... bahut bahut dhanyawad...ashirwad banaye rakhiyega...
Comment by Veerendra Jain on February 5, 2011 at 9:29pm
 Sharda ji...hausla afzai ke liye bahut bahut shukriya....sneha banaye rakhiye...
Comment by Veerendra Jain on February 5, 2011 at 9:27pm
 Ashish ji...aap to mujhe VEERENDER SEHWAG bana rahe hain...jabki main VEERENDRA JAIN bankar bahut khush hoon...hahaha.... bahut bahut dhanyawad aapka gazal pasand karne aur apni bahumulya raay dene ke liye...
Comment by Veerendra Jain on February 5, 2011 at 9:25pm
 Arun ji...Bahut bahut shukriya.. aap logon ke protsahan se hi likhne ki prerna milti hai...
Comment by anupama shrivastava[anu shri] on February 4, 2011 at 10:52am
मिटाने गरीबी जो सच्ची हो मंशा ,
रखे परदेस में गुल्लक फोड़ दीजिए |
bahut khoob , veerendra ji............sachhi ko bayan karti ,ek sachii kavita........dhanyavad...........age bhi isi tarah share karte rahein......badhai.
Comment by आशीष यादव on February 2, 2011 at 2:55pm
वीरेंदर सर, एक बार फिर  आप की अच्छी रचना हमें पढने को मिली| अच्छे ख्यालों  से सुसज्जित शेरों से सजी सुन्दर ग़ज़ल के लिए आप को बधाई|
Comment by Abhinav Arun on February 2, 2011 at 1:38pm

बहुत अच्छी गज़ल हर शेर अर्थपूर्ण और संदेशपरक !

जकड़े कदम बेड़ियाँ जो बनकर ,
रुढियों को ऐसी तोड़ दीजिए |
 
निकल आएंगे राम अंदर से उसके ,
रावण को इक दफा झंझोड़ दीजिए |
 
इन खूबसूरत शेरो के लिये विशेष बधाई !!
Comment by Veerendra Jain on February 2, 2011 at 12:49pm
Navin bhaiya... bahut dhanyawad...per is gazal me meri pragati kuch hui hai ya nai..is per aapki raay jaanana chahta hoon...!!!
Comment by Veerendra Jain on February 2, 2011 at 12:47pm

Ganesh ji... is baar ke MAHA EVENT me chahkar bhi hissa nahi le pa raha hoon.... darasal pichle dino "retinal haemorrhage" ka shikar bana hua hoon... to computer access band hai... kshma chahta hoon....

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