For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो अक्षरो का *शक'

दो हमसफर

एक छत

रहे अजनबी की तरह

लब खुले तो टकरार

ना साँसे टकराती

ना बिन्‍दीयाँ भाती

ना विदाई

ना स्‍वागत

नजर चुराते

बीती राते

कभी

तन मन साथ

हँसी उमंग चाहत प्‍यार

लगी नजर

बने नदी के

दो किनारे

बीच में

शक

केवल शक

बाँट दिया प्‍यार

एक ना सुनते

एक दूजे की बाते

स्‍वाभिमान

विद्रोह

गुस्‍से की

ज्‍वाला जला रही

प्‍यार को

खत्‍म समझ

नदारद सोच

दिल दिमाग

बना पत्‍थर

टकरा लौटती

एक दूजे की बाते

खत्‍म विश्‍वास

अलगाव की चाहत

कल चाहत का घर

आज दिवारो का घेरा

और शक था

बीच का रोडा

जो मिटने को नहीं

तैयार था

क्‍योंकि वह

आज का शक था

आधुनिकता के दौड़ में

बदलते रिश्‍तों

के बीच का

शक था

एक शक

देा अक्षरों से बना

शक

बर्बाद कर रहा था

अखंड पूरे जीवन को

पूरे जीवन को

 

मौलिक व अप्रकाशित अखंड गहमरी की रचना

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on December 27, 2013 at 10:40pm

आदरणीया डा0 प्राची सिंहं दीदी जी आपको प्रणाम आप मेरी एक रचना आत्‍मंथन पर आयी और अपने विचारो से अवगत करायी उसके बाद मैने यथा संभव प्रयास किया कि सपाट बयान बाजी किसी रचना में ना हो, सफल रहा या नही इसका बात को आप ही बता पायेगी।  आप पुन: मेरी रचना पर आयी और अपने विचार रखा मैं आपका आभारी हूँ, मै प्रयास करूगा कि आपको दुबारा शिकायत का मौका ना मिले आपके मार्गदर्शन का आकांक्षी अखंड गहमरी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 27, 2013 at 10:03pm

शक दीमक की तरह वास्तव में जीवन को खोखला ही कर देता है.... इस दानव से तो बच कर ही रहना चाहिए 

आ० अखंड गहमरी जी...आपको मंच पर काफी समय हो गया अब, आपसे अतुकांत प्रस्तुतियों में प्रस्तुतीकरण के क्रम में थोडा और मनन-मंथन और शिल्प पर ध्यान देते हुए प्रस्तुतियां देने की अपेक्षा बन गयी है. बाकी प्रस्तुतियों और साथ ही उन पर हुई चर्चाओं को पढ़ते चलें बहुत कुछ स्पष्ट होता जाएगा, अभिव्यक्तियाँ स्वतः ही सधती चलेंगी.

इस प्रस्तुति पर सादर बधाई 

शुभकामनाएं 

Comment by coontee mukerji on December 24, 2013 at 10:43pm

शक का कोई इलाज नहीं.....और क्या कहें..इस अभिव्यक्ति के लिये हार्दिक बधाई.

Comment by annapurna bajpai on December 24, 2013 at 5:12pm

शक एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज हकीम लुक़मान के पास भी नहीं था । अच्छे खासे जीवन को बर्बाद करता है ये शक । 

अच्छी रचना , बधाई आपको । 

Comment by Akhand Gahmari on December 23, 2013 at 12:21pm

  

आपके आगमन और उत्‍साहवर्धन के हम सदैव आकांक्षी रहेगें आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवak जी सादर नमस्‍कार आपको

Comment by Akhand Gahmari on December 23, 2013 at 12:20pm

आपके आगमन और उत्‍साहवर्धन के हम सदैव आकांक्षी रहेगें आदरणीया Meena Pathak जी सादर नमस्‍कार आपको

Comment by Meena Pathak on December 23, 2013 at 11:49am

आधुनिकता के दौड़ में

बदलते रिश्‍तों

के बीच का

शक था

एक शक

देा अक्षरों से बना

शक

बर्बाद कर रहा था

अखंड पूरे जीवन को

पूरे जीवन को........................बहुत सुन्दर , बदलते माहौल में बदलते रिश्तों की सच्चाई बखूबी से बयान की आप ने अपनी रचना के माध्यम से आदरणीय अखंड जी ... बहुत बहुत बधाई आप को इस उत्कृष्ट रचना हेतु | सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 22, 2013 at 7:52pm

शक !  बेशक करता है सर्वनाश i  भावनाओ का स्वागत i

Comment by Akhand Gahmari on December 22, 2013 at 5:14pm

आपके आगमन और उत्‍साहवर्धन के हम सदैव आकांक्षी रहेगें आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सादर नमस्‍कार आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 22, 2013 at 5:11pm

आदरनीय अखंड भाई , बहुत सुन्दर रचना की है / शक सही मे घर को बरबाद कर देता है ॥ आपको अनेकों बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service