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माँ की बेटी को सलाह [ दोहावली ]

लक्ष्मी है तू गेह की, तू मेरा सम्मान
सबको देना मान तू ,भाई पिता समान /


बेटी है तो क्या हुआ तू है घर की लाज
हमारा तू गुरूर है, मेरी तू आवाज /


बनना मत तू दामिनी,सहकर अत्याचार
लेना दुर्गा रूप तू ,करना तू संहार /

मत घबराना तू कभी, जो हो जग बेदर्द
तू है दुर्गा कालिका ,मत सहना तू दर्द /


जिसका तुझसे हो भला,उसके आना काम
अबला नारी जो दिखे ,उसको लेना थाम /

..............मौलिक व अप्रकाशित .......

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Comment by विजय मिश्र on December 2, 2013 at 5:13pm
उत्तम सिखावन है आजकी बेटियों केलिए . साधुवाद सरिता दीदी
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 2, 2013 at 3:38pm

आपकी यह सीख हर बेटी के लिए भी है और हर माँ के लिए भी कि बेटी को कैसी शिक्षा देनी चाहिए ॥ हार्दिक बधाई आदरणीया सरिताजी इस शिक्षाप्रद सुंदर दोहे के लिए॥

Comment by राजेश 'मृदु' on December 2, 2013 at 11:58am

जिसका तुझसे हो भला,उसके आना काम
अबला नारी जो दिखे ,उसको लेना थाम /

एक सार्थक सीख जिसकी आज बेहद जरूरत है, सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 1, 2013 at 8:46pm

आदरणीय सरिया जी , सन्देश देती आपके दोहावली अच्छी लगी , आपको हार्दिक बधाई !!!!

मेरा तू गुरूर है,  - इसमे 12 मात्रा है , सुधार लीजियेगा !!!!

कृपया ध्यान दे...

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