For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! दीवाली क्या चीज है !!!

जीवन का उद्देश्य सम, हर पल रहें प्रसन्न।
मृत्यु काल के घाट पर, नहीं पूंछती प्रश्न।। 1

सदा दिया के सम बनो, उजला रहे समाज।
निश-दिन पाप मुक्त तभी, कर दीवाली आज।। 2

यह प्यारा संसार है, दीन-हीन के संग।
दीपक जिनके घर नही, उनके लिए पतंग।। 3

लक्ष्मी को पूजें सभी, धनतेरस है कमाल।
बहू हमारी कर्ज सी, नित झगड़ा जंजाल।। 4

आलम-गौरव गले मिलें, होली हो या ईद।
नेता झंझट कील से, उकसाते बकरीद।। 5

के0पी0 सत्यम-मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 10, 2013 at 11:57am

आ0 सुशील भाईजी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार। सादर

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 9:25am

सार्थक दोहों हेतु बहुत बहुत बधाई आ0 केवल भाई.....

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 6:08pm

आ0 जितेन्द्र भाईजी,    आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 6:05pm

आ0 सौरभ सर जी,  जी सर!  मेरी बात में समझ में आ गई थी, कि यह दोहे छन्द के अनुरूप नहीं है।  इसलिए ही दो पंक्तियों में अपनी बात को शीर्षक के माध्यम से कहना उचित समझा।  आपके स्नेह और यथोचित मार्गदर्शन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 5:56pm

आ0 विजय भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 5:55pm

आ0 रामशिरोमणि भाई जी,  वास्तव में मैं दोहे ही लिख रहा था, किन्तु समाज में बढ़ते पापाचार और महंगाई से मैं विलग नहीं हो सका और सुर बदल गये। मैं समझता हूं कि मनुष्य उलटवासियों या व्यंग से शीघ्र समझ लेता है, बनिस्बत सरल मृदु बात के इसीलिए मैंने दोहे न लिख कर शीर्षक "दीवाली क्या चीज है?" से उद्गार किया।  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 5:42pm

आ0 लड़ीवाला  सर जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 5:40pm

आ0 अरून निगम सर जी,  वाह! बहुत सुन्दर सकारात्मक दोहे।  वाह! मन प्रसन्न हो गया। यह मेरे जहन में छप गया।  आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 5, 2013 at 8:27am

अपनी सुंदर दोहावली के माध्यम से, बहुत सार्थक सन्देश दिया है, आदरणीय केवल जी, बहुत बहुत बधाई स्वीकारें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 4, 2013 at 11:43pm

भाई राम शिरोमणि के कहे का मैं भी समर्थन करता हूँ.

शुभेच्छाएँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service