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ये कैसी दीवाली ? अतुकांत ( गिरिराज भंडारी )

दिया है

शरीर

कर्मों की

अग्नि  

मन की बाती

सांसों का

तेल

सारा जीवन

परम पिता का

खेल !!!!!

घर की

जमीन

लीपी गई

दीवारें

पोती गई

सब कुछ

साफ साफ

लाइटों का

जगमग उजाला

बाहरी दिया भी

जला डाला !!!!!!!

अन्दर अँधेरा

दिया शांत

बाती शीतांग

कर्म विरोधी

दुर्दांत

चुकता तेल

अपने ईश्वर से

असंभव मेल

आत्मा से दूर

हर हाथ सवाली

नीयत काली

ये कैसी दीवाली ? !!!!!!

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

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Comment

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Comment by ram shiromani pathak on November 4, 2013 at 5:37pm

आदरणीय गिरिराज जी रचना बहुत अच्छी है,बहुत बहुत बधाई!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2013 at 5:12pm

आदरणीय विजय मिश्र भाई , रचना के मर्म तक पहुँच के प्रतिक्रिया देने और रचना की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2013 at 5:10pm

आदरणीय मीना जी , रचनाकी सराहना के लिये आपका बहुत आभार !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2013 at 5:09pm

आदरणीय अरुण निगम भाई , रचना के मर्म पर प्रतिक्रिया देने के लिये और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2013 at 5:07pm

आदरणीय राहुल भाई , आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये बहुत बहुत आभार !!!!!

Comment by विजय मिश्र on November 4, 2013 at 4:30pm
भाई गिरिराजजी , आपकी यह रचना उन्मत है ,मतवाले भावों से संतृप्त है और सांसारिक ढकोसलों पर उत्कट प्रहार . सत्यही अंतस तमोमय हो तो आप इन प्रतीक दीपों को जला केवल लौकिकता का निर्बाह मात्र करते हैं और स्वेम को छलते हैं
सुंदर रचना .दोनों सुअवसरों की बधाई लें .
Comment by Meena Pathak on November 3, 2013 at 5:02pm

बहुत सुन्दर .. हार्दिक बधाई | शुभ दीपावली, सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 3, 2013 at 2:49pm

जब अंतस का दीप जले, तब ही उजियारा होय.............सुन्दर रचना हेतु बधाई.............

शुभ दीपावली...........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 2, 2013 at 6:20pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 2, 2013 at 6:18pm

आदरणीय बड़े भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभार !!!!

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