For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वच्छ गगन मे - कविता

स्वच्छ गगन मे

सुवर्ण सी धूप

भोर की किरण ने

आ जगाया ।

अर्ध उन्मीलित नेत्र

उनींदा  मानस

आलस्य पूरित

यह तन मन

पंछियों ने राग सुनाया ।  

कामिनी सी कमनीय

सौंदर्य की प्रतिमा

नैसर्गिक छटा

फैली चहुं ओर

मुसकाते सुमन

झूमते  तरुवर

नव जोश जगाया ।

हुआ प्रफुल्लित ये मन

तोड़ कर मंथर बंधन

मानो  रोली कुमकुम

आ छिड़काया ।............. अन्नपूर्णा बाजपेई 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

 

 

 

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 2:07pm

आदरणीय अरुण शर्मा जी , आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 2:06pm

आदरणीय सौरभ जी आपकी टिप्पणी का इंतजार मुझे अपनी हर रचना पर रहता है , आपकी टिप्पणी मार्ग प्रशस्त करती है । आपका हार्दिक आभार ।

सादर 

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 2:00pm

आदरणीय संजय मिश्रा जी आपने भी बड़ी ही सुंदर अभिव्यक्ति के साथ उत्साह वर्धन किया है आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 1:59pm

आदरणीय बृजेश जी आपकी टिप्पणी ने उत्साह दूना कर दिया ,अपना स्नेह टिप्पणी रूप मे बनाए रखें । 

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 1:57pm

आदरणीय सुशील जोशी जी आपका हृदय तल से आभार । 

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 1:56pm

अदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 4, 2013 at 12:10pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी प्रकृति की सुन्दरता का खूबसूरत चित्रण किया है आपने, इस सुन्दर रचना पर मेरी ओर से बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 4, 2013 at 10:35am

प्रकृति सुषमा की सुन्दर अभिव्यक्ति.  बधाई स्वीकारें आदरणीया, इस प्रयास पर.

सादर

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on October 4, 2013 at 9:58am

//जाग रहा अंबर में सूरज, किरणें करतीं शोर। 

कैसा मोहक चित्र खींचकर, मुस्काता है भोर॥//

सुंदर रचना हेतु सादर बधाई स्वीकारें आदरणीया अन्नपूर्णा जी...

Comment by बृजेश नीरज on October 4, 2013 at 9:02am

प्रकृति का सुन्दर चित्रण किया है आपने. आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service