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मिले सुर मेरा तुम्हारा...

 

 

नब्ज़ टटोलोगे तो कोई रोग पकड़ आएगा

 झूठ का रंग भी सच पर से उतर जाएगा

क्यों कहते हो माथे पे लगाया है चन्दन
लहू है ये ,एक दिन ,सबको पता चल जाएगा .
विजयी भाव भी दुबकेगा,जब सैलाब आएगा..
रंग फीका तेरे चेहरे का पड़ जाएगा..
ऐश कर लो की अभी सब सोते हैं खामोश से हैं ..
सहर होने दो ,मर जाओगे ,देश जब जागेगा..
एक शक्ति के ही जाए हैं सब ,ये बिसरे क्यों हैं ?
अलग लहू का रंग नहीं तो बिखरे क्यों हैं ?
हाथ थामो ज़रा ,जुड़ के माला तो बनो..
ज़िन्दगी जीने का मज़ा कुछ और ही बढ़ जाएगा ..अगर..
मिले सुर मेरा तुम्हारा...
 

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Comment by Lata R.Ojha on January 4, 2011 at 10:57pm
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