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कुछ अधखुले बीज....

कुलबुलाते कुछ अधखुले बीज

मेरे बरामदे के कोने में पड़े हैं

शायद माँ ने जब फटकारे

तो गिर गए होंगे

बारिश के होने से कुछ पानी और

नमी भी मिल गयी उन्हें

सफाई करते ध्यान भी नहीं दिया

बड़ी लापरवाह है कामवाली भी

दो दिन हुए हैं और बीजों ने

हाथ पैर फ़ैलाने शुरू कर दिए

हाँ ठीक भी तो है

मुफ्त में मिली सुविधा से

अवांछित तत्व फलते-फूलते ही हैं

पर अब जब वो यूँही रहे तो

बरामदे में अपनी जड़े जमा लेंगे

फिर ज़मीन में पड़ेंगी दरारे भी

मेरी माँ का खूबसूरत सा

बरामदा चटखने लगेगा

माँ को दुःख होगा...

क्यों न मैं ही इसे हटा दूँ अभी

इसकी बढ़ती टांगों से पहले

कल को ये घर में बदसूरती लाये

क्यों न मैं ही इसका वजूद मिटा दूँ

या इसे एक नयी ज़मी दूँ

जहाँ ये पनप सके.....जन्म ले सके

अभी ये नापसंद है माँ को

तब ये माँ का दुलार पा सके

एक हिस्सा बन जाये शायद

माँ के इस बरामदे का

खिली पत्तियाँ और रंगीन फूलों से

तब माँ को ख़ुशी होगी

और मुझे भी....

(मौलिक एव अप्रकाशित)

.......प्रियंका

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Comment by Priyanka singh on September 18, 2013 at 8:44pm

राम जी शुक्रिया आपका .....

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:48pm

वाह बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति आदरणीया प्रियंका जी //हार्दिक बधाई आपको  

Comment by Priyanka singh on September 15, 2013 at 9:28pm

ब्रजेश जी शुक्रिया आपका ....

Comment by Priyanka singh on September 15, 2013 at 9:27pm

अभिनव सर बहुत बहुत शुक्रिया आपका ......

Comment by Priyanka singh on September 15, 2013 at 9:26pm

मानव जी धन्यवाद आपका .....

Comment by Priyanka singh on September 15, 2013 at 9:25pm

अरुन जी ....बहुत बहुत शुक्रिया आपका 

Comment by Priyanka singh on September 15, 2013 at 9:24pm

आदरणीय लक्ष्मन सर बहुत बहुत आभार आपका ....

Comment by Priyanka singh on September 15, 2013 at 9:23pm

अन्नपुर्णा जी बहुत बहुत सराहना हेतु धन्यवाद आपका ......

Comment by Priyanka singh on September 15, 2013 at 9:21pm

आदरणीय विजय सर आपकी प्रशंसा हेतु दिली शुक्रिया ....स्नेह बनाये रखे यूँही ...शुक्रिया सर 

Comment by Priyanka singh on September 15, 2013 at 9:19pm

गिरीराज सर बहुत बहुत आभार आपका .....

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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