For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"भाभी कहाँ से लायी हो इतनी सुन्दर दुल्हन ? नजर ना लगे", श्यामला ने घूंघट उठाते ही कहा, "..ऐसा लगे है जैसे कौव्वा जलेबी ले उड़ा.."
दूर बैठी श्यामा ने जैसे ही दबी जबान में कहा, खिलखिलाहट से सारा कमरा गूँज उठा ।
"श्यामा भाभी कभी तो मीठा बोल लिया करो.. मेरा भतीजा कहाँ से कव्वा लगता है तुम्हे ? मेरे घर का कोई शुभ काम तुम्हे सहन नहीं होता तो क्यूँ आती हो ?" श्यामला ने आँखें तरेरते हुए श्यामा को कहा।


मुंह दिखाई का सिलसिला चल ही रहा था कि पड़ोस का नन्हें बदहवास-सा दौड़ता हुआ आया और हकलाते हुए बोला, "..श्याऽऽऽ म... ला चाचीऽऽऽऽ... छोरी बगल के खेत में बोरवेल में गिर गईऽऽऽ..."
यह कह कर वो बदहवास ही वापस भागा.

सुनते ही जैसे वहाँ वज्रपात हो गया. श्यामला खूनी नजरों से श्यामा को देखते हुए बोली, "..कब से कह रहे थे उस गड्ढे को ढक दो. रोज टीवी में आवे है कि ऐसे बोरवेलों में बच्चे गिरते हैं... पर तुमने तो एक ना सुनी.. आज मेरी छोरी को कुछ हो गया तो तेरी सात पुश्तों को भी ना छोडूंगी..."  गरजती हुई श्यामला बाहर की और भागी ।


पीछे से श्यामा भी चीखती हुई भागी, " अपनी छोरी को ना रोक सके ? सारा दिन टांग उठाये दौड़ती फिरती है..! छोरी ही तो है.. और पैदा कर लियो... आज तक छोरी ही तो जनती आई है तू...  ",  फिर औरों को देखती हुई बोली, "अब इसके तस्मे ढीले होएंगे.. बड़ी आई थी ग्राम पंचायत में चुनाव लड़ने.."

सब लोग बोरवेल की और भाग रहे थे.  श्यामला पागल सी हो सिर खुल्ले छाती पीटती हुई बोरवेल पर पंहुचकर गिर पड़ी, कि, इतने में दो नन्हे हाथ पीछे से उसके गले में लिपट गए. हतप्रभ श्यामला पत्थर सी हो गई जब उसने देखा, उसकी अपनी बेटी घबराई हुई उससे लिपट रही है. आँखों से आंसुओं का सैलाब बह निकला.  

सब आवाजें मद्धिम होती जा रही थीं.. लोग फुसफुसा रहे थे..  "श्यामा की बेटी को कोई तो बचा लो.... !!!.."     

*******
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 989

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2013 at 9:15am

भावेश जी आपने चंद शब्दों में ही बहुत कुछ कह दिया दिल से आभारी हूँ |

Comment by Bhawesh Rajpal on September 1, 2013 at 5:31pm
Only I can say " Awsome "

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2013 at 8:19am

आदरणीया उपासना सियाग जी  कहानी पर आपकी प्रतिक्रिया पाकर ये लघुकथा धन्य हुई मेरी लेखनी को नव उर्जा मिली |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2013 at 8:18am

आदरणीया विजय श्री जी कहानी पर आपकी प्रतिक्रिया हर्ष वर्धन कर मेरी लेखनी को उर्जस्वि बना रही है दिल से आभारी हूँ |

Comment by upasna siag on August 31, 2013 at 11:21pm

dusron ke dukh aur khud ke dukh ko mahsus karne me itna antr kyun ..,? kya yah hamara maanv swbhav hi aisa hai ! 

 bahut achhi aur man ko chhune wali khahani 

Comment by vijayashree on August 31, 2013 at 11:19pm

स्वयं पर जब गुजरती है तभी दर्द का अहसास होता है ....

सन्देशपरक सार्थक लघुकथा पर हार्दिक बधाई राजेश कुमारी जी  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 31, 2013 at 9:32pm

केवल प्रसाद जी इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 31, 2013 at 9:32pm

जी प्रिय नूतन जी आपने सही कहा इंसान को भगवान् से हमेशा डरना चाहिए लघु कथा पर आपके अनुमोदन से हर्षित हूँ हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 31, 2013 at 9:30pm

आदरणीय अरविन्द भटनागर जी रचना पर आपकी आत्मीय टिपण्णी और समीक्षा से मेरी लेखनी को नव ऊर्जा मिली दिल से  आभारी हूँ |

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 31, 2013 at 9:08pm

आ0 राजेश कुमारी जी, सीख से भरी सुन्दर लघु कथा। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
7 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service