For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे कृष्ण बनू तेरा अनुगामी!

शिशु रूप में प्रकट हुए तुम,
अंधकारमयी कारा गृह में,
दिव्यज्योति से हुए प्रदीपित,
अतिशय मोहक अतिशय शोभित,
अर्धरात्रि को पूर्ण चन्द्र से
जग को शीतल करने वाले
संतापों को हरने वाले,
अवतरित हुए तुम, अंतर्यामी!

हे कृष्ण बनू तेरा अनुगामी!

किन्तु देवकी के ललाट पर,
कृष्ण! तुम्हे खोने का था डर,
तब तेरे ही दिव्य तेज से
चेतनाशून्य हुए सब प्रहरी,
चट चट टूट गयी सब बेडी
मानो बजती हो रण भेरी,
धर कर तुम्हे शीश पर वसु ने
यमुना जी को पार किया था, अंतर्यामी!
हे कृष्ण बनू तेरा अनुगामी !


यमुना जी चाहती थी करना
कृष्ण तेरे चरणों का वंदन
वसु जी हुए शीस तक प्लावित
शांत किया यमुना का क्रंदन,
तेरे चरणों को छूकर तब
यमुना जी अविभूत हुई थी,
और मिली थी श्वांस वसु को
जब यमुना जी शांत हुई थी, अंतर्यामी!


हे कृष्ण बनू तेरा अनुगामी!

और जन्म लेते ही कान्हा
छूट गयी माता की ममता,
त्राहि त्राहि करती जनता का
परित्राण करने की क्षमता,
केवल तुममे एक मात्र थी
छोड़ी माँ की ममता क्योकि,
जनता तेरी प्रेम पात्र थी।
और किया पावन ब्रज रज को, अंतर्यामी!


हे कृष्णा बनू तेरा अनुगामी!

पुत्र रूप में पाकर तुमको
पुलकित हुई यशोदा मैया,
तुम्हे मिला वात्सल्य मात से
नटखट बाल कन्हैया,
माटी का भोग लगाकर तुमने
मैया को भरमाया ,
मुह खोला जब कान इंठे तो
सकल ब्रहमांड दिखाया, अंतर्यामी!


हे कृष्ण बनू तेरा अनुगामी !

तुम ब्रिज के ग्वालों संग खेले
और गोपियों के मटकों को मारे डेले
गाय चराई नंदन वन में , और गोपियों
के घर से माखन भी खूब चुराया,
नाच नचाये सारे ब्रिज को , और प्रेम
से तुमको सबने माखन चोर बुलाया,
पर मैया मोरी मै नहीं माखन खाया।
राधा के संग रास रचाए, अंतर्यामी!
हे कृष्ण बनू तेरा अनुगामी !


किन्तु छिपा सके न तुमको
जैसे बादल सूर्य किरण को ,
ब्रिज में श्री नंदराय,
पड़ गया कंस कर्ण में
जीवित मेरा जीवन हन्ता ,
डोल उठा ब्रहमांड सकल
कर हाहाकार उठी सब जनता ,
भिजवा बैठा तुम्हे निमंत्रण
करने को पूरा अपना प्रण, अंतर्यामी
हे कृष्ण बनू तेरा अनुगामी !

रथ भेजा अक्रूर पठाए,
श्री कृष्ण को मथुरा लाने ,
सुनकर कृष्ण जायेंगे मथुरा
ब्रिजवासी सब लगे अकुलाने
दुस्तर हुआ कृष्ण का जाना,
मुस्किल थे आंसू रुक पाना,
फिर भी मोह का बंधन तोडा,
आगे बढे धर्म रक्षा हित, अंतर्यामी!


हे कृष्ण बनू तेरा अनुगामी!

मथुरा का जन जन था प्यासा,
नेत्र नेत्र में केवल आशा ,
अपलक राह निहारे,
कब आयेंगे कृष्ण हमारे द्वारे।
अद्भुत स्वागत हुआ तुम्हारा,
जब पहुंचे दाऊ संग मथुरा,
करने कंस विध्वंस,
मिटाने को धरती से पाप,
कंस का दंश, अंतर्यामी!

हे कृष्णा बनू तेरा अनुगामी!

पहुंचे रंग भूमि में कान्हा,
तोड़ दिया सब ताना बाना,
कंस बुने बैठा था जोभी,
धरती पर वह कामी लोभी,
और उठा कर सिंघासन से,
उसे चखाया स्वाद धरातल,
अहंकार के मद में फूला ,
जा पहुंचा फिर कंस रसातल। अंतर्यामी!


हे कृष्ण बनू तेरा अनुगामी!

जय जय जय श्री कृष्ण तुम्हारी,
होने लगी मथुरा में सारी,
नर, देवो, किन्नर, गंदर्भों ने
जय घोष सुनाया।
बाल्यावस्था में किया जो योगी ,
वह कोई नहीं कर पाया।
माँ का संताप हरा तुमने
पापों का नाश किया तुमने, अंतर्यामी!
हे कृष्ण बनू तेरा अनुगामी!

जन्माष्ठमी की हार्दिक सुभकामनाओं के साथ !

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Poems By Aditya Kumar

Views: 912

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aditya Kumar on August 31, 2013 at 12:16pm

आदरणीय श्री

श्याम जुनेजा 

 जी कृष्ण को इश्वर क्यों मान लिया गया है यह तो आप स्वयं जानते ही है , फिर भी जो मुझे लगता है मै लिख देता हूँ ! मेरा मंतव्य यह है की कृष्णा बाकि सब से श्रेष्ठ है क्योकि उन्हें अहंकार नहीं था, और अहंकार न होना इश्वर का सहज गुण है, उनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि था, उनके लिए कुछ भी निजी नहीं था जैसा की उन्होंने अपनी निजी प्रतिज्ञा को तोड़ने में कोई संकोच नहीं किया, सस्त्र के नाम पर रथ का पहियाँ ही उठा लिया और प्रतिज्ञा तोड़ दी, मात्र जनहित के लिए, किन्तु दूसरी और भीष्म केवल निजी प्रतिज्ञाओं और निजी वचनों के लिए जी रहे थे जबकि ऐसा कहा गया है के जब समस्या राष्ट्र स्तर की हो तब निजी वस्तुए, निजी स्वार्थ, निजी प्रतिज्ञाए कोई मायने नहीं रखती मायने रखता है तो केवल राष्ट्र धर्मं और मानव मात्र का कल्याण जो कृष्ण ने किया, कृष्णा मात्र कर्ण की तरह दानी , भीष्म की तरह वीर या एक सच्चे मित्र ही नहीं थे वरन एक ऐसे पथप्रदर्शक थे जिसे जिनके विचारों को आज तक गीता के रूप में पढ़ा जाता है, उनके द्वारा गीता में कही गई बाते ना जाने कितने ही महापुरषों ने अपने जीवन के सिधान्तों के तौर पर स्वीकार किया और वो भी हमारे समाज में इश्वर तुल्य माने जाते है।  तो फिर कृष्णा के इश्वर होना तो स्वतः ही सिद्ध होता है।  

Comment by Aditya Kumar on August 31, 2013 at 11:29am

उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री  जितेन्द्र 'गीत'  जी 

Comment by Aditya Kumar on August 31, 2013 at 11:27am

उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री  Kewal Prasad जी 

Comment by Aditya Kumar on August 31, 2013 at 11:21am

उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री  विजय मिश्र जी 

Comment by Aditya Kumar on August 31, 2013 at 11:20am

उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री  गिरिराज भंडारी जी 

Comment by Aditya Kumar on August 31, 2013 at 11:19am

उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री Shyam Narain Verma i जी 

Comment by Aditya Kumar on August 31, 2013 at 11:18am

उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री  vandana tiwari जी 

Comment by Aditya Kumar on August 31, 2013 at 11:17am

उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री   Vasundhara pandey जी 

Comment by Aditya Kumar on August 31, 2013 at 11:16am

उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री  JAWAHAR LAL SINGH जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 29, 2013 at 11:57pm

सुंदर रचना प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदित्य भाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपकी टिप्पणी एवं मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार। सुधार का प्रयास करुंगा।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। आ. भाई तिलकराज जी के सुझाव से यह और निखर गयी है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service