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बढ़े चलो - बढ़े चलो

बढ़े चलो - बढ़े चलो
स्वप्न सच किये चलो
जो भी आये राह में
लिये चलो - लिये चलो...


अड़्चनों - रुकावटों
चुनौतियों का सामना
दृढ़ प्रतिज्ञ बनके तुम
किये चलो - किये चलो...


अनुभवों से सीख लो
कमियों को सुधार लो
सबको ऐसी प्रेरणा
दिये चलो - दिये चलो...


आकलन से कम मिले
तो भी मुस्कुराओ और
बाकी पाने के लिये
लगे रहो - लगे रहो...


हार हो कि जीत हो
कि धूप हो कि छांव हो
तुम सदैव एक से
बने रहो - बने रहो...


(मौलिक एवं अप्रकाशित)


- विशाल चर्चित

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 12:39am

इतनी मेहनत किये तो प्रमाणिका छंद या पंचचामर छंद में बाँधना था. १२ १२ १२.. की आवृति को निभाते हुए.

बहरहाल बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें विशाल भाई. बहुत दिनों पर आपको मंच पर देख रहा हँ.

शुभेच्छाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 27, 2013 at 9:15pm

आ० विशाल जी 

प्रेरक और सहज गीत 

हार्दिक बधाई 

Comment by Priyanka singh on August 27, 2013 at 1:14am

विशालजी...सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई .....

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 8:20pm

आ0 विशाल भाई जी,  सुन्दर रचना।  हृदयतल से बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 7:28pm

आदरणीय चर्चित जी ,
हार हो कि जीत हो
कि धूप हो कि छांव हो
तुम सदैव एक से
बने रहो - बने रहो...बहुत ही प्रेरणादायी ,उपदेशक कविता ,बहुत बहुत बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on August 26, 2013 at 5:58pm
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!
Comment by विजय मिश्र on August 26, 2013 at 5:23pm
विशालजी , प्रेरक पथसंचलन गीत . आनंद आनंद . बधाई स्वीकारें .
Comment by अरुन 'अनन्त' on August 26, 2013 at 1:36pm

विशाल भाई काफी समय के बाद आपको ओ बी ओ पर पढ़ने को मिल रहा है बेहद सुन्दर शिक्षाप्रद प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 26, 2013 at 12:30pm
विशाल भाई , प्रेरणा दायक सुन्दर रचना , बधाई !!

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