For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बढ़े चलो - बढ़े चलो

बढ़े चलो - बढ़े चलो
स्वप्न सच किये चलो
जो भी आये राह में
लिये चलो - लिये चलो...


अड़्चनों - रुकावटों
चुनौतियों का सामना
दृढ़ प्रतिज्ञ बनके तुम
किये चलो - किये चलो...


अनुभवों से सीख लो
कमियों को सुधार लो
सबको ऐसी प्रेरणा
दिये चलो - दिये चलो...


आकलन से कम मिले
तो भी मुस्कुराओ और
बाकी पाने के लिये
लगे रहो - लगे रहो...


हार हो कि जीत हो
कि धूप हो कि छांव हो
तुम सदैव एक से
बने रहो - बने रहो...


(मौलिक एवं अप्रकाशित)


- विशाल चर्चित

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 3, 2013 at 11:29pm

हार हो कि जीत हो
कि धूप हो कि छांव हो
तुम सदैव एक से
बने रहो - बने रहो...

प्रिय विशाल जी बहुत सुन्दर आह्वान .....प्यारी रचना

भ्रमर ५

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 1, 2013 at 1:48pm

आपके स्नेहिल मार्गदर्शन को नमन सौरभ सर जी.......हां सही कहा आपने सर कि काफी दिनों बाद मंच पर आना हुआ....वजह काम काज की अति व्यस्तता रही.....!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 1, 2013 at 1:45pm

हार्दिक धन्यवाद डॉ. प्राची जी !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 1, 2013 at 1:44pm

बहुत - बहुत शुक्रिया प्रियंका जी !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 1, 2013 at 1:44pm

केवल भाई आभारी हूं आपका !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 1, 2013 at 1:43pm

दिल से शुक्रगुजार हूं आपका शुभ्रा शर्मा जी !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 1, 2013 at 1:41pm

श्याम भाई जी धन्यवाद !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 1, 2013 at 1:37pm

बधाई हेतु आभार विजय भाई !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 1, 2013 at 1:36pm

बहुत - बहुत शुक्रिया अरुन भाई....हां आपने सही कहा...पिछले कुछ महीने काफी उलझे हुए थे.....!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 1, 2013 at 1:34pm

हृदय से आभारी हूं आपका गिरिराज भंडारी सर जी !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
2 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service