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ग़ज़ल - मैं कितनों के लिए पुल सा रहा हूँ

दिलों को जोड़कर रखता रहा हूँ -
मैं कितनों के लिए पुल सा रहा हूँ -

मैं लम्हा हूँ, मगर सदियों पुरानी
किसी तारीख़ का हिस्सा रहा हूँ -

हजारों मस'अले हैं ज़िन्दगी में
मैं इक इक कर उन्हें सुलझा रहा हूँ-

ग़मे दौरां में ख़ुशियाँ ढूँढ़ना सीख
तुझे कबसे ऐ दिल! समझा रहा हूँ -

नहीं मुमकिन है मेरी वापसी अब
फ़क़त शतरंज का प्यादा रहा हूँ -

तुम्हारे नाम का इक फूल हर साल
क़िताबे दिल में, मैं रखता रहा हूँ -

किनारे इक नदी के बैठकर मैं
'तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ' -

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 12:18am

देर आये मग़र क्या आये.. !  वाह !!  अब तेरे शेरों से दिल बहला रहा हूँ ..!!!

एक बात अवश्य कहूँगा, विवेक भाई,  इतना इत्मिनान से नहीं पिलाते.. कि प्यास को ही ऊब हो जाये. प्रस्तुतियों की आवृत्ति को तनिक बढ़ा दें, तो यह हमारी प्रतीक्षा से सिंक्रोनाइज हो जायेगी.

शुभ-शुभ

Comment by विवेक मिश्र on August 16, 2013 at 3:11pm
नवाजिश के लिए शुक्रिया केतन भाई।
Comment by Ketan Parmar on August 16, 2013 at 1:16pm

दिलों को जोड़कर रखता रहा हूँ -
मैं कितनों के लिए पुल सा रहा हूँ -

uMDAA MATLA BADE BHAI

Comment by विवेक मिश्र on August 15, 2013 at 9:00pm
वीनस भाई - शुक्रिया साहब। हाँ, आप सच कहते हैं। मैं उतना frequent राइटर नहीं। कभी-कभी जब लिखे बिना एकदम नहीं रहा जाता, तब कलम उठाता हूँ। :-)
Comment by वीनस केसरी on August 15, 2013 at 3:24am

विवे़क भाई इतना कम लिखते हैं कि जब लिखते हैं आकलन करना मुश्किल होता है कि ये पिछली से अच्छी रचना है या बहुत अच्छी रचना है .. :)))))))))

बहरहाल मुझे लगता है ये पिछली से टक्कर लेने लायक है ....

Comment by विवेक मिश्र on August 14, 2013 at 11:57am
शुक्रिया केतन जी।
Comment by Ketan Parmar on August 14, 2013 at 11:37am

Bahoot khub

Comment by विवेक मिश्र on August 14, 2013 at 11:29am
वन्दना जी एवं वसुन्धरा पाण्डेय जी - हार्दिक आभारी हूँ।
Comment by Vasundhara pandey on August 14, 2013 at 8:55am

बहुत सुन्दर गजल ..बधाई आपको !!

Comment by vandana on August 14, 2013 at 7:32am

दिलों को जोड़कर रखता रहा हूँ -
मैं कितनों के लिए पुल सा रहा हूँ -

हजारों मस'अले हैं ज़िन्दगी में
मैं इक इक कर उन्हें सुलझा रहा हूँ-

बढ़िया गज़ल 

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