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परिवर्तन है सत्य सदा
अपनाना इसको सीखें।
इसमें ही है नव-जीवन
नूतन-पथ बुनना सीखें।।

नूतनता,खुशियां जनती
उत्सव नित्य मनाएं हम।
खुश रहकर कुसमय काटें
समय से न कट जाएं हम।
जीवन रंग सजाने को,
नयन-अश्रु पीना सीखें।।

शोक,हर्ष,उत्थान-पतन
हमें तपा कुन्दन करते ।
अगम सिन्धु की झंझा में
कर्म सदा नौका बनते।
निष्कामी आराधक बन
जग-वन्दन करना सीखें।।

प्राण मात्र से प्रीति करें,
प्रेम-पात्र जो बनना है।
अब तो जग जा,ओ रे मन!
मग यदि सुगम बनाना है।
प्रीति सुमन की चाह अगर
जड़ सिंचित करना सीखें।।
-विन्दु
(मौलिक/अप्रकाशित)

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Comment by Neeraj Nishchal on August 11, 2013 at 10:43am
बहुत ही सार्थक कविता लिखी
आपने वन्दना जी परिवर्तन तो
नियम है संसार का ........

बहुत ही सुन्दर ........
Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 10:41am
आदरणीय केवल प्रसाद जी आपने रचना मर्म समझा और अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया दें मुझे बहुत बल प्रदान किया है।
सादर आभार आपका आदरणीय!
Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 10:39am
आदरणीय बृजेश सर जी आपकी उदात्त स्वरीय टिप्पणी से बहुत मनोबल बढ़ा।
आपका हृदयातल से आभार,महोदय यूं ही सम्बल प्रदान करते रहें।
सादर
Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 10:32am
आदरणीय वसुन्धारा पाण्डेय जी आप यहाँ पधारीं और प्रशंसात्मक शब्दों में टिप्पणी की,इसके लिए आपका बहुत आभार!
स्नेह बनाए रखें
सादर
Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 10:30am
आदरणीय श्याम नारायण जी आपकी टिप्पणी पा मन खुश हुआ।
सादर
Comment by विजय मिश्र on August 10, 2013 at 3:57pm
"परिवर्तन है सत्य सदा
अपनाना इसको सीखें। "

और अंत में

"प्रीति सुमन की चाह अगर
जड़ सिंचित करना सीखें।।"
- आदि से अंत तक सोदेश्य और मनोबल देने वाली सार्थक रचना .साधुवाद वन्दनाजी .
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 10, 2013 at 2:59pm

आ0 वन्दना जी,  अतिसुन्दर, भावपूर्ण, सरस और हृदयंगम गीत, मन को भा  गया।  तहेदिल से बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by बृजेश नीरज on August 10, 2013 at 8:34am

गीत विधा पर आपका यह प्रयास आकर्षक है। आपकी संदेश देती रचनायें सदैव आकर्षित करती हैं। मूल्यों व संस्कारों में आती गिरावट के प्रति आपकी छटपटाहट उनकी पुनस्र्थापना के लिए आगाह करती आपकी रचनाओं से प्रकट होती है।
इस प्रयास के लिए आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Vasundhara pandey on August 9, 2013 at 4:11pm

सुन्दर सन्देश देती हुयी आपकी रचना बहुत ही मनभावन है..बधाई वंदना जी !!

Comment by Shyam Narain Verma on August 9, 2013 at 12:05pm
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!

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