For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परिवर्तन है सत्य सदा
अपनाना इसको सीखें।
इसमें ही है नव-जीवन
नूतन-पथ बुनना सीखें।।

नूतनता,खुशियां जनती
उत्सव नित्य मनाएं हम।
खुश रहकर कुसमय काटें
समय से न कट जाएं हम।
जीवन रंग सजाने को,
नयन-अश्रु पीना सीखें।।

शोक,हर्ष,उत्थान-पतन
हमें तपा कुन्दन करते ।
अगम सिन्धु की झंझा में
कर्म सदा नौका बनते।
निष्कामी आराधक बन
जग-वन्दन करना सीखें।।

प्राण मात्र से प्रीति करें,
प्रेम-पात्र जो बनना है।
अब तो जग जा,ओ रे मन!
मग यदि सुगम बनाना है।
प्रीति सुमन की चाह अगर
जड़ सिंचित करना सीखें।।
-विन्दु
(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 760

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on August 11, 2013 at 10:43am
बहुत ही सार्थक कविता लिखी
आपने वन्दना जी परिवर्तन तो
नियम है संसार का ........

बहुत ही सुन्दर ........
Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 10:41am
आदरणीय केवल प्रसाद जी आपने रचना मर्म समझा और अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया दें मुझे बहुत बल प्रदान किया है।
सादर आभार आपका आदरणीय!
Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 10:39am
आदरणीय बृजेश सर जी आपकी उदात्त स्वरीय टिप्पणी से बहुत मनोबल बढ़ा।
आपका हृदयातल से आभार,महोदय यूं ही सम्बल प्रदान करते रहें।
सादर
Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 10:32am
आदरणीय वसुन्धारा पाण्डेय जी आप यहाँ पधारीं और प्रशंसात्मक शब्दों में टिप्पणी की,इसके लिए आपका बहुत आभार!
स्नेह बनाए रखें
सादर
Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 10:30am
आदरणीय श्याम नारायण जी आपकी टिप्पणी पा मन खुश हुआ।
सादर
Comment by विजय मिश्र on August 10, 2013 at 3:57pm
"परिवर्तन है सत्य सदा
अपनाना इसको सीखें। "

और अंत में

"प्रीति सुमन की चाह अगर
जड़ सिंचित करना सीखें।।"
- आदि से अंत तक सोदेश्य और मनोबल देने वाली सार्थक रचना .साधुवाद वन्दनाजी .
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 10, 2013 at 2:59pm

आ0 वन्दना जी,  अतिसुन्दर, भावपूर्ण, सरस और हृदयंगम गीत, मन को भा  गया।  तहेदिल से बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by बृजेश नीरज on August 10, 2013 at 8:34am

गीत विधा पर आपका यह प्रयास आकर्षक है। आपकी संदेश देती रचनायें सदैव आकर्षित करती हैं। मूल्यों व संस्कारों में आती गिरावट के प्रति आपकी छटपटाहट उनकी पुनस्र्थापना के लिए आगाह करती आपकी रचनाओं से प्रकट होती है।
इस प्रयास के लिए आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Vasundhara pandey on August 9, 2013 at 4:11pm

सुन्दर सन्देश देती हुयी आपकी रचना बहुत ही मनभावन है..बधाई वंदना जी !!

Comment by Shyam Narain Verma on August 9, 2013 at 12:05pm
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service