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एक प्रयास
(बहर- 2122 2122 2122)

लक्ष्य क्या जो खोजते हम दौड़ते हैं।
है कहाँ ये आज तक ना जानते हैं।।

ढूंढ साधन,साधने को लक्ष्य सोंचा,
ना सधा ये,सब 'स्व' को ही रौंदते हैं।

जग छलावे में भटकते इस तरह हम,
शांति के हित शांति खोते भासते हैं ।

*समर्पण हो पूर्ण,या लब सीं लिए हों,

क्या शिला भी प्रेम को पा सीलते हैं?

ना पहुंचू पर मुझे हो भान तो वह,
तब बढेंगे, आज तो बस खोजते हैं ।।

*संशोधित
-विन्दु
(मौलिक,अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Vindu Babu on August 13, 2013 at 5:34am
आदरणीय निकोर सर शुभप्रभात् एवम् सादर अभिनन्दन!
मुझे पता है आप सभी विधाओं को जरूर पढते होंगे,रही बात लिखने की तो आदरणीय आपकी रचनाओं में इतनी भाव-प्रबलता और गहनता होती है कि विधा नगण्य हो जाती है।अतुकान्त/verse libre ही आपकी पहचान है।
आपकी उदात्त स्वरीय टिप्पणी पा मन बहुत प्रसन्नता और उत्साह भर गया आदरणीय!
आपके स्नेह तथा उत्साहवर्धन के लिए सदैव आपसे विनयी हूं।
आपका बारम्बार आभार!
सादर
Comment by vijay nikore on August 12, 2013 at 10:27am

आदरणीया वंदना जी:

 

मैं गज़लों का रसास्वादन करता हूँ, पर स्वयं गज़ल नहीं लिखता,

अत: इस रचना की शिल्प विधि का टीकाकार नहीं बनता।

हाँ, आपकी रचनाओं में भाव, सच्चाई/यथार्थ, और संदेश पाने की

मुझको आदत हो गई है, और वह इस रचना में भी अच्छे मिले हैं,

और इसके लिए आपको बधाई देता हूँ। लिखते रहिए,

प्रयास का फल उतकृष्ट होता ही जाएगा, आदरणीया।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Vindu Babu on July 26, 2013 at 12:35pm
आदरणीय वीनस केसरी जी सादर नमस्कार!
रचना पकाने में सहायता तो कीजिए,आप तो उस्ताद हैं महोदय।
मुझे गज़ल में कुछ आता ही नहीं,आपकी कक्षाओं से कुछ सीखने प्रयास अवश्य कर रही हूं।
सादर
Comment by Vindu Babu on July 26, 2013 at 12:28pm
आदरणीय अभिनव अरुन जी आपका हार्दिक स्वागत् है। आपने कहा आम बोल-चाल के शब्द प्रयोग करना चाहिए,आदरणीय मुझे तो सभी शब्द साधारण बोल-चाल वाले ही लग रहे हैं,हो सकता है आपको 'स्व' कुछ हटकर लगा हो। निवेदन करना चाहूंगी महोदय कि स्वीकार कर लें इस शब्द को भी,मेरे हृदय से निकला है।
आपकी मुक्त प्रतिक्रिया के लिए बहुत आपका बहुत आभार!
सादर
Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:54am

सुन्दर प्रयास है

रचना को और पका लीजिए तो ग़ज़ल कहने पर किसी को एतराज़ नहीं होगा ....

Comment by बृजेश नीरज on July 20, 2013 at 7:41pm

आदरणीया वंदना जी मार्गदर्शन और सीखना सिखाना तो मेरे और आपके बीच के वार्तालाप का सदैव केन्द्र बिन्दु रहा है और रहेगा। मां शारदे आप पर यूं ही अपनी कृपा बनाए रखें।
सादर!

Comment by Abhinav Arun on July 20, 2013 at 2:42pm

आदरणीया वंदनाजी , अच्छी सायास कही ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें !! हां एक बात , अपनी , शेष आप पर है , हमें लेखन में वही भाषा प्रयोग करनी चाहिए जो आम बोलचाल में प्रयोग करते हैं … नहीं तो …. वही अटकाव भटकाव का अंदेशा रहता है !! बहुत शुभकामनायें !!

Comment by Vindu Babu on July 20, 2013 at 12:56pm
आदरणीय राज़ नवादवी जी आपका ब्लाग पर बहुत स्वागत है।
गज़ल में हिंदी शब्दों के प्रयोग पर लोगों की अलग-अलग राय है, ठीक है पर आपकी क्या राय है महोदय?
आपकी प्रतिक्रिया मेरा उत्साह है।
शुक्रिया आदरणीय
सादर
Comment by Vindu Babu on July 20, 2013 at 12:55pm
आदरणीय राज़ नवादवी जी आपका ब्लाग पर बहुत स्वागत है।
गज़ल में हिंदी शब्दों के प्रयोग पर लोगों की अलग-अलग राय है, ठीक है पर आपकी क्या राय है महोदय?
आपकी प्रतिक्रिया मेरा उत्साह है।
शुक्रिया आदरणीय
सादर
Comment by Vindu Babu on July 20, 2013 at 12:55pm
आदरणीय राज़ नवादवी जी आपका ब्लाग पर बहुत स्वागत है।
गज़ल में हिंदी शब्दों के प्रयोग पर लोगों की अलग-अलग राय है, ठीक है पर आपकी क्या राय है महोदय?
आपकी प्रतिक्रिया मेरा उत्साह है।
शुक्रिया आदरणीय
सादर

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