For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

    

******* बेवफाई  ********
 दोस्ती का हक़ तो मैंने अदा किया 

 पर उसने मुझे कुछ दगा सा दिया 

जाने किस बात पे वो था रुका 

किस बात पे जाने भुला वो दिया 

दोस्ती .......................................

 

वैसे भीड़ में अपनों के था मै अकेला 

मेरे साथ गैरों ने कुछ उसने भी खेला 

वफ़ा की बातें अब कहाँ तक चलेंगीं 

ठुकराकर मुझे अब समझा वो दिया 

दोस्ती..........................................

 

दुनिया में पैसा है तो खरीदेंगे दिल भी 

जरूरत नहीं है आज अब तेरी अभी 

नहीं आज रहमत है मेरे दिल में 

कहकर ये दामन छुड़ा वो लिया 

दोस्ती..........................................

 

अपने ही मुकद्दर से हैरान हूँ 

उससे मै आज भी अनजान हूँ 

कितना जला हूँ तिल-२ के यारों 

कहकर दिलजला दिल दुखा वो दिया 

दोस्ती..............................................

***********************************

मौलिक और अप्रकाशित

***********************************
        अतेन्द्र कुमार सिंह "रवि"

Views: 1205

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on July 15, 2013 at 8:55am
सौरभ सर और अरुण जी को सादर प्रणाम और दिल से धन्यवाद .......

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 14, 2013 at 9:31pm

सुंदर प्रयास के लिए बधाई.................


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 14, 2013 at 9:24pm

आपकी प्रस्तुत रचना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, अतेन्द्र भाईजी. .

शुभेच्छाएँ

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on July 14, 2013 at 4:47pm

प्राची दीदी की मेरा सादर प्रणाम ......वैसे आपने लिखा है की मन में उठते भावो की अभिव्यक्ति अभी काफी अपरिपक्व है...तो कृपया इंगित भी करे कि जो मन में भावना उठी है उसको और कैसे अभिव्यक्त किया जा सकता है , हम आपके बहुत आभारी रहेंगे ....वैसे ये हमारी बहुत पुरानी रचना है ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 14, 2013 at 2:30pm

मन में उठते भावो की अभिव्यक्ति अभी काफी अपरिपक्व है...

और रचनाकारों की रचनाएँ भी पड़ें काफी कुछ स्वयमेव ही समझ आने लगेगा 

शुभकामनाएँ 

Comment by Sumit Naithani on July 12, 2013 at 4:23pm

अपने ही मुकद्दर से हैरान हूँ 

उससे मै आज भी अनजान हूँ 

कितना जला हूँ तिल-२ के यारों 

कहकर दिलजला दिल दुखा वो दिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service