For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चीखती हैं सरहदें

चीखती हैं सरहदें और जागते जवान हैं|

रक्त से शहीदों के अब लाल आसमान है||

शहीद होते पूतों की माताएँ सिसक रही|

बिछुड़ के अपने पति से पत्नियाँ बिलख रही||

 

पित्रहीन बच्चों का भी चेहरा रंगहीन है|

परिवार था खुश कभी आज दीनहीन है||

 

मुआवजे की भीख दे नेता जी उबर लिए|

चेतावनी जो बदले की उससे वो मुकर लिए||

 

सो रहे नेताओं से मेरा एक सवाल है|

जो काटे सिर हेमराज का किसलिए मेहमान है||

 

सर के बदले सर ही अब तुम भी क्यों न मांगते|

बनते खैरख्वाह जो दायित्व से क्यों भागते||

 

नापाक रूपी पाक से तुम मित्रता क्यों चाहते|

जो सांप आस्तीन का उसे दूध तुम क्यों बांटते||

 

साथ पूरा देश है हिम्मत जरा दिखाइए|

तुम राजनीति छोड़ अब देश को बचाइए||

 

अब क्रोध है जवानों में कि सीना चीर डालेंगे|

उठी जो आँख देश पे वो आँख फोड़ डालेंगे||

 

भगत, आज़ाद, बोस जिस देश की पहचान हैं|

उसकी अस्मिता को अपनी जान भी कुर्बान है||

                                 हरीश उप्रेती "करन"

                               मौलिक व् अप्रकाशित

 

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harish Upreti "Karan" on June 30, 2013 at 12:45pm

आदरणीय लक्ष्मण सर धन्यवाद्......

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 30, 2013 at 12:42pm

जवानों में जोश भर्ती रचना के लिए बधाई श्री हरीश उत्प्रेती जी -

शहीदों पर न हो राजनीति,उत्प्रेरित करती रचना 

होंसला बढे वीर जवान का,बस इतना ही कहना | 

Comment by Harish Upreti "Karan" on June 30, 2013 at 11:32am

आदरणीय जीतेन्द्र जी होंसला बढ़ाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया...

Comment by Harish Upreti "Karan" on June 30, 2013 at 11:27am

रविकर सर बहुत बहुत शुक्रिया...

Comment by Harish Upreti "Karan" on June 30, 2013 at 11:25am

आदरणीय जवाहर लाल जी होंसला अफजाई के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद्......जय हिन्द

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 30, 2013 at 7:04am

साथ पूरा देश है हिम्मत जरा दिखाइए|

राजनीति छोड़ अब देश को बचाइए|| .... ये जज्बा कब आयेगा? सुंदर आह्वान! 

Comment by Shyam Narain Verma on June 29, 2013 at 4:50pm

बहुत ही सुंदर व मर्मस्पर्शी रचना..................

Comment by Sumit Naithani on June 28, 2013 at 4:00pm

साथ पूरा देश है हिम्मत जरा दिखाइए|

तुम राजनीति छोड़ अब देश को बचाइए|| सार्थक 

Comment by रविकर on June 28, 2013 at 10:19am

कारुणीक
आभार आदरणीय-
एक प्रतिक्रिया-

कीमत मत मानव लगा, महा-मतलबी दृष्टि |
हिम्मत से टकरा रहे, भरी चुनौती सृष्टि |
भरी चुनौती सृष्टि, वृष्टि कुहराम मचाये |
अहंकार हो नष्ट, तिगनिया नाच नचाये |
जय जय जय हे वीर, भगाते आई शामत |
सादर तुम्हें प्रणाम, चुकाई भारी कीमत ||

Comment by Harish Upreti "Karan" on June 27, 2013 at 10:53pm

आदरणीय प्राची जी बताने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service