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कुंद चाकू पर धार लगाकर

हम चाकू से छीन लेते हैं उसके हिस्से का लोहा

और लोहे का एक सीदा सादा टुकड़ा

हथियार बन जाता है

 

जमीन से पत्थर उठाकर

हम छीन लेते हैं पत्थर के हिस्से की जमीन

और इस तरह पत्थर का एक भोला भाला टुकड़ा

हथियार बन जाता है

 

लकड़ी का एक निर्दोष टुकड़ा

हथियार तब बनता है जब उसे छीला जाता है

और इस तरह छीन ली जाती है उसके हिस्से की लकड़ी

 

बारूद हथियार तब बनता है

जब उसे किसी कड़ी वस्तु में कस कर लपेटा जाता है

और इस तरह छीन ली जाती है उसके हिस्से की हवा

 

पर दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार

इन तरीकों से नहीं बनता

वो बनता है उस पदार्थ को और न्यूट्रॉन देने से

जिसके पास पहले से ही मौजूद न्यूट्रॉनों को

रखने हेतु जगह कम पड़ रही है

 

हजारों वर्षों से धरती पर मौजूद हैं छोटे हथियार

इसलिए मुझे यकीन है

दुनिया जब भी खत्म होगी

कम से कम छोटे हथियारों से तो नहीं होगी

------------------

(मौलिक एवम् अप्रकाशित)

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Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 25, 2013 at 7:32pm

बहुत बहुत धन्यवाद गीतिका 'वेदिका' जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 25, 2013 at 7:32pm

बहुत बहुत धन्यवाद Savitri Rathore जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 25, 2013 at 7:31pm

बहुत बहुत शुक्रिया aman kumar जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 25, 2013 at 7:31pm

धन्यवाद  Shyam Narain Verma जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 25, 2013 at 7:31pm

शुक्रिया Jitendra Pastariya जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 25, 2013 at 7:30pm

बहुत बहुत धन्यवाद D P Mathur साहब

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 8:13pm

कविता के सभी बंद चौकाने वाले है … वह अद्भुत खोज करी आपने 

सच में एक निर्दोष को विस्फोटक बनाने में यह समाज ही जिम्मे वार है.  

किसी भी मुआअम्ले के सापेक्ष लीजिये। जब कोई लड़की या औरत घरेलू हिंसा को सहेगी तो उसे कोई श्रेय नही दिया जाता, लेकिन जब वह विस्फोटक हो जाती है तो उसे समाज के लिए घातक हथियार मान लिया जाता है। 

बधाई !!!  

Comment by Savitri Rathore on June 24, 2013 at 7:20pm

छोटे-छोटे हथियारों से बड़े हथियारों तक की बात और उन हथियारों के कारण भविष्य के प्रति दूरदर्शिता ........निसंदेह सराहनीय प्रयास .....बधाई!

Comment by aman kumar on June 24, 2013 at 3:43pm

हथियारो को मानव ने बनाया और मानव ही मारा जाता है ! 

पर कविता को आपने जो हथियार बनाया ................. दुनिया को समझ आये तो ,,,

आभार !

Comment by Shyam Narain Verma on June 22, 2013 at 12:52pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

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