For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हरी भरी धरती मन मोहती है ,

चहुं ओर फैली हरियाली मोहती है ,

मुसकुराते खिले कुसुम मोहते हैं,

झूमते पेड़ पौधे मन मोहते है ।

 

अद्भुत है धरती का सौंदर्य ,

कल कल करती नदिया बहती ,

चम चम करते पोखर तालाब ,

अद्भुत अनुपम धरा है दिखती।

 

किन्तु .....................

ऐ! धरती पुत्र आज तो ,

धरती माँ न ऐसी दिखती है,

टप टप गिरते आँसू बस रोती है,

मेरा श्रंगार करो बस ये ही कहती है।

 

किन्तु आज .....................

न होता श्रंगार न लगते वृक्ष,

न सजती फूलों की है  क्यारी,

न मुसकुराते पौधे  न झूमते वृक्ष,

न ही नदिया अठखेलियाँ करती ।

 

किन्तु ये ........................

बस कटते है कटते ही जाते है,

कहने को वृक्ष धरा का भूषण है,

जीवन  दायिनी है,नदिया कहते है,

सूखती है बस सूखती है जाती है।

 

सोचो ................

न होंगे वृक्ष धरा पर,

न होगी जल की धार,

न होगे पर्वत धरा पर,

जो रूठ गई धरती तो क्या करोगे?

                                           - अन्नपूर्णा बाजपेई

 

अप्रकाशित एवं मौलिक    

 

 

 

 

Views: 3118

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विजय मिश्र on June 27, 2013 at 4:50pm
"जो रूठ गई धरती तो क्या करोगे? " - बहुत सुंदर जागरण गीत .बधाई .

- करने को कुछ शेष न होगा
- सब मरोगे ....सब मरोगे

धरती हमको सबकुछ देती ,
हम भी तो कुछ देना सीखें .
Comment by annapurna bajpai on June 26, 2013 at 7:34pm

bahut abhar adarniy vijay mishra ji .

Comment by annapurna bajpai on June 9, 2013 at 12:17am

आदरणीय बृजेश जी बहुत आभार आपका । मै आपकी सलाह का पालन करूंगी ।

Comment by बृजेश नीरज on June 8, 2013 at 8:57am

हाहहा... आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपने इतनी सुंदर भाषा में भाव पिरोए हैं फिर भी कह रही हैं कि साहित्यिक भाषा में कमजोर हैं। कमी की तरफ आदरणीय सौरभ जी ने इंगित किया है। वह आप तभी सीखेंगी जब दूसरों को पढ़ेंगी। आप यहां पर रोज थोड़ा समय दें। मैं जो कुछ भी सीख पाया हूं वह यहां कुछ समय देने से ही सीख पाया हूं। रचना में जो कमी इंगित की जाए उसे सकारात्मक रूप से गम्भीरता से लें। मैं जितना कुछ भी जानता हूं उसके साथ आपकी मदद अवश्य करूंगा। इसके अतिरिक्त यहां का प्रत्येक सदस्य आपकी मदद करेगा।यहां पर आदरणीय सौरभ जी, वीनस भाई, आदरणीय राजेश कुमारी जी व प्राची जी जैसे बहुत सार गुणी लोग हैं। उनकी रचनायें पढ़ें। आयोजनों में सक्रिय रूप से प्रतिभाग करें। वहां बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है और बेहतर संवाद की स्थिति भी बनती है।
इस रचना में कितना कुछ ठीक किया जा सकता है इसे देखता हूं।
आप मात्रा गणना के लिए इस लिंक का प्रयोग करें।

http://www.openbooksonline.com/group/hindi_ki_kaksha/forum/topics/5...

http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5...

http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5...

यहां समूहों में बहुत उपयोगी जानकारी उपलब्ध है। आप समूहों में सम्मिलित हों और उन लेखों का अध्ययन करें। आपको बहुत सहायता मिलेगी।
सादर!

Comment by शुभांगना सिद्धि on June 8, 2013 at 2:35am

बहुत सुन्दर!

Comment by annapurna bajpai on June 8, 2013 at 12:07am

आदरणणीय गुरु जी मेरी इस विषय पर थोड़ी सहायता करें मुझे साहित्य की भाषा का उतना ज्ञान नहीं है पर आप सबकी सहायता से कुशल होने का पूरा प्रयास करूंगी ।

Comment by annapurna bajpai on June 8, 2013 at 12:01am

आदरणीय बृजेश जी,  मैं साहित्यिक भाषा मे थोड़ी कमजोर हूँ आप थोड़ी मदद कर दें .

Comment by बृजेश नीरज on June 7, 2013 at 2:09pm

बहुत सुन्दर! भाव बहुत अच्छे हैं। आपने इस रचना को मात्रा के आधार पर साधने का प्रयास क्यों नहीं किया, समझ में नहीं आया!
इस प्रयास के लिए आपको ढेरों बधाई!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 7, 2013 at 9:26am

रचनाकर्म के लिए धन्यवाद.

सपाटबयानी थोड़ी अधिक हो गयी इस प्रस्तुति में. विचारों को इंगितों और संकेतों में भी कहा जा सकता है.

शुभेच्छाएँ

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 6, 2013 at 5:15pm

बेजोड! पर्यावरण दिवस पर आपको बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service