For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- जिन्दगी तुमसे लड नहीं पाया।।।

जिन्दगी तुमसे लड नहीं पाया ।
हमने आख़िर में ख़ुद को समझाया।।

कुछ नहीं आदमी के हाथों में,
मरते-मरते ये सबने समझाया।।

जिन्दगी भर गरूर रहता है,
मौत के वक़्त ये नहीं पाया।।

जिन्दगी हर कसौटी पर जी,ली,
इसलिये राम,राम कहलाया।।

आदमी लालची ही होता है,
भूल जाता है राम की माया।।

मैं बहकता रहा हूँ उतना ही,
आपने मुझको जितना बहकाया।।

रात से हमको मिलती शीतलता,
रात ने शांत रहना सिखलाया।।

प्रेम परमात्मा से उपजा है,
प्रेम है आत्मा की प्रतिछाया।।


...सूबे सिंह "सुजान"

यह ग़ज़ल मौलिक व अप्रकाशित है। आप सब प्रभुत्वजनों को समक्ष प्रस्तुत है।

Views: 766

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on June 2, 2013 at 1:34pm

बहुत अच्छा प्रयास है गजल पर आदरणीय सूबे सिंह जी... सादर बधाई स्वीकारें...

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 1, 2013 at 10:25pm

आदरणीय सूबे सिंह साहब बहुत खूब प्रयास बहुत ही सुन्दर एवं लाजवाब है. मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 1, 2013 at 9:42pm
KISHAN KUMAR, जी आपका आभारी हूँ। आपकी प्रतिक्रिया पर आपका धन्यवाद करता हूँ।
Comment by सूबे सिंह सुजान on June 1, 2013 at 9:40pm
Saurabh Pandey...ji namskar, आपकी आलोचनात्मक प्रतिक्रिया पर , आपका आभारी हूँ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2013 at 6:48pm

एक बेहतर कोशिश के लिए आपको हार्दिक बधाई, भाई सूने सुजान सिंह जी. 

ग़ज़ल का अंदाज़ सुफ़ियाना है.

ध्यान से देखे तो मतले में ऐबे शुतुर्गुर्बा हो रहा है. उला में मैं सर्वनाम छुपा लगता है जबकि सानी में हम सर्वनाम आया है. इस फ़र्क पर ग़ौर कीजियेगा.

मैं बहकता रहा हूँ उतना ही,
आपने मुझको जितना बहकाया.. . . इस शेर पर अलग से दाद लीजिये.

मेहनत करते  रहें.

शुभेच्छाएँ

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 1, 2013 at 5:26pm

नादिर ख़ान.....जी, आपका स्वागत है ।
प्रतिक्रिया पर आपका शुक्रिया।।

Comment by नादिर ख़ान on June 1, 2013 at 5:09pm

कुछ नहीं आदमी के हाथों में, 
मरते-मरते ये सबने समझाया।।

जिन्दगी भर गरूर रहता है, 
मौत के वक़्त ये नहीं पाया।।

बहुत सही कहा आदरणीय सुजान  जी ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 1, 2013 at 5:03pm

आशीष नैथानी 'सलिल आपका स्वागत है। बधाई पर बधाई हमने पाई।।
शुक्रिया

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on June 1, 2013 at 12:05pm

मैं बहकता रहा हूँ उतना ही,
आपने मुझको जितना बहकाया।।

वाह ! बहुत खूब !!
हार्दिक बधाई सूबे सिंह सुजान जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
16 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
21 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
22 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
23 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
23 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
25 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
27 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
41 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service