For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- जिन्दगी तुमसे लड नहीं पाया।।।

जिन्दगी तुमसे लड नहीं पाया ।
हमने आख़िर में ख़ुद को समझाया।।

कुछ नहीं आदमी के हाथों में,
मरते-मरते ये सबने समझाया।।

जिन्दगी भर गरूर रहता है,
मौत के वक़्त ये नहीं पाया।।

जिन्दगी हर कसौटी पर जी,ली,
इसलिये राम,राम कहलाया।।

आदमी लालची ही होता है,
भूल जाता है राम की माया।।

मैं बहकता रहा हूँ उतना ही,
आपने मुझको जितना बहकाया।।

रात से हमको मिलती शीतलता,
रात ने शांत रहना सिखलाया।।

प्रेम परमात्मा से उपजा है,
प्रेम है आत्मा की प्रतिछाया।।


...सूबे सिंह "सुजान"

यह ग़ज़ल मौलिक व अप्रकाशित है। आप सब प्रभुत्वजनों को समक्ष प्रस्तुत है।

Views: 794

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 8, 2013 at 11:36pm
Ashok Kumar Raktale.................
जी आपका आभारी हूँ। आपकी प्रतिक्रिया पर आपका धन्यवाद करता हूँ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on June 8, 2013 at 9:42pm

आदरणीय सुबेसिंह सुजान जी सादर सुन्दर सरल और सीधी सी गजल.

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 7, 2013 at 4:32pm

 वीनस केसरी..                   जी आपका आभारी हूँ। आपकी प्रतिक्रिया पर आपका धन्यवाद करता हूँ।     

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 7, 2013 at 4:32pm
Comment by सूबे सिंह सुजान on June 7, 2013 at 4:31pm

annapurna bajpai..आपकी प्रतिक्रिया  पर आपका धन्यवाद

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 7, 2013 at 4:30pm

Sanjay Mishra 'Habib'....आपका धन्यवाद

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 7, 2013 at 4:29pm
Comment by वीनस केसरी on June 4, 2013 at 9:27pm

बहुत खूब सुजान जी क्या कहने 

भई वाह !!!!

मैं बहकता रहा हूँ उतना ही, 
आपने मुझको जितना बहकाया।।

रात से हमको मिलती शीतलता,
रात ने शांत रहना सिखलाया।।

Comment by विजय मिश्र on June 3, 2013 at 1:13pm
"जिन्दगी हर कसौटी पर जी,ली,
इसलिये राम,राम कहलाया।। "

सचमुच राम सुनना सरल है ,राम बनना अतिजटिल - बहुत सही मार्गदर्शन .
Comment by annapurna bajpai on June 3, 2013 at 1:33am

बहुत बढ़िया गज़ल हेतु बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
27 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service