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ekta nahar ji aapne jo likha bilkul satya hai.mai bhi manta hun.lekin fir bhi itni sadiya beet gayi kya itni sundar aur sahsi naari keval sabdon me hi rahegi ya uska aisa roop har naari me dkhne ko milega.
aaj bhi purush ka ek bada varg naari ki abhivayakti n sawtantarta ko saveekar nahin kar paata hai.
aisa kyun hai?
Raj kumar rohilla
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