For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुमको पाया मानो मैंने नया जन्म पाया

शादी की प्रथम सालगिरह की पूर्व संध्या में अपनी जीवन संगिनी को समर्पित एक रचना

शाम सुहानी रात दीवानी दिवस एक लाया
तुमको पाया मानो मैंने नया जन्म पाया

मन में अंतर्द्वंद बहुत था कैसा होगा वो
सपने देखे जैसे मैंने वैसा होगा वो
या नाज़ुक सुंदर फूलों के जैसा होगा वो
छुईमुई सा शरमाएगा क्या ऐसा होगा वो

तभी सामने इक सुंदर सा चाँद निकल आया
तुमको पाया मानो मैंने नया जन्म पाया

हाथ में सुन्दर वरमाला औ तुम थी सकुचाई
धीरे धीरे पग रख रख के पास में तुम आई
मन उपवन में एक कलि खिल खिल के मुस्काई
फिर वरमाला एक दूजे को हमने पहनाई

तन्हाई का पुष्प बेचारा पल में कुम्हलाया
तुमको पाया मानो मैंने नया जन्म पाया

आस और विश्वास भरे बस प्रीत बढ़ाना है
अग्नि के सातों फेरों का वचन निभाना है
ढोल बजे आतिशबाजी का दृश्य सुहाना है
शहनाई ने छेड़ रखा एक मधुर तराना है

झिलमिल करता चाँद सितारों से मंडप छाया
तुमको पाया मानो मैंने नया जन्म पाया

तुम मेरे दिल में बसते हो मैं तेरे दिल में
हम तुम हो कर पहुँच गए हैं हम तो मंजिल में
मैं दरिया हूँ बहता कलकल औ सागर हो तुम
तुमसे मिल के ये दरिया हो जाता है फिर गुम

आकर तुमने मेरा ये घर आँगन महकाया
तुमको पाया मानो मैंने नया जन्म पाया

रूह मेरी हो तुम मेरे तन मन में बसती हो
साँसे बनकर मेरे दिल के साथ धड़कती हो
कभी कभी शोलों के जैसे आप भड़कती हो
मगर एक पल बाद लिपट के खूब सिसकती हो

विषम परिस्थिति में खुश रहना तुमने सिखलाया
तुमको पाया मानो मैंने नया जन्म पाया

इतनी चिंता करती हो तुम मेरे खाने की
राह ताकती हो फिर मेरे लौट के आने की
आस रखूं हर जन्म में केवल तुमको पाने की
हर पल जीवन भर ये सुन्दर साथ निभाने की

कैसे बीता साल साथ ये समझ नहीं आया
तुमको पाया मानो मैंने नया जन्म पाया

संदीप पटेल “दीप”

Views: 1402

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 13, 2013 at 9:13pm

प्रिय संदीप जी 

विवाह की प्रथम वर्षगाँठ पर बहुत बहुत शुभकामाएं 

आपनी जीवनसंगिनी को समर्पित इस गीत में आपने बहुत खूबसूरत भाव, कोमल एहसास, और अथाह प्रेम व समर्पण को शब्द दिए हैं.. छोटी छोटी बातों की गहनता को जिया है ...और क्या तारीफ़ करूँ, कुछ सूझ नहीं रहा .. बस यही कामना है कि इन छोटे छोटे एहसासों की खुशबू  से आपकी ज़िंदगी हमेशा महकती रहे.

आप दोनों को बहुत बहुत बधाई 

शुभकामनाएँ 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 13, 2013 at 8:32pm

आदरणीय राम भाई सादर 

इन शुभकामनाओं हेतु आपका बहुत बहुत आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 

Comment by ram shiromani pathak on April 13, 2013 at 6:55pm

शादी कि प्रथम वर्ष गाँठ पर ढेरों बधाइ  एवं मंगलकामना स्वीकारे भाई संदीप कुमार जी!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 13, 2013 at 5:05pm

आदरणीय गणेश बागी सर जी सादर प्रणाम 

आपके द्वारा दिए इस नायब तोहफे के प्रति धन्यवाद कहने के शब्द नहीं मिल पा रहे हैं 

मन अतिरेक में है

नेत्र ख़ुशी के मारे छलक आने को आतुर हैं 
आपकी सराहना और मंगलकामनाओं रूप आशीष वचनों हेतु आपका बहुत बहुत आभार 

स्नेह और आशीष यूँ ही अनुज पर बनाये रखिये 

सादर 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 13, 2013 at 5:01pm

आदरणीय लक्ष्मण सर जी सादर प्रणाम 

आपकी पंक्तियाँ पढ़ भाव विभोर हो उठा हूँ 

ये स्नेह और आशीष अनुज पर यूँ ही बनाये रखिये 

इन शुभकामनाओं हेतु आपका ह्रदय से धन्यवाद सहित सादर आभार 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 13, 2013 at 4:59pm

आदरणीय श्याम नारायण जी सादर प्रणाम 

इन मंगलकामनाओं हेतु आपका बहुत बहुत आभार

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 13, 2013 at 4:58pm

आदरणीय केवल जी सादर 

इन शुभकामनाओं हेतु आपका ह्रदय से आभार 

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 

सादर 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 13, 2013 at 4:57pm

आदरणीय विजय सर जी सादर प्रणाम 

आपकी सराहना और शुभकामनाओं हेतु ह्रदय की गहराइयों से धन्यवाद और सादर आभार 

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 13, 2013 at 4:56pm

आदरणीय बृजेश जी सादर 

इन प्रेम पगी शुभकामनाओं हेतु आपका बहुत बहुत आभार 

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 13, 2013 at 4:55pm

आदरणीया कुंती जी सादर प्रणाम 

आपकी इस सराहना और शुभकामनाओं के लिए ह्रदय से आभारी हूँ 

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
8 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service