For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक फुटपाथी कवि का दर्द

कल मैंने अपनी अप्रकाशित

कविताओं का एक बण्डल

नुक्कड़ के कोने पर बैठने वाले

छोले बेचने वाले को सौंप दिया

उसने इसे मुँह बंद करके हँसते हुए

स्वीकार कर लिया

और उसने द्वेष से

प्रभावित हुए बिना

जबाब दिया

अंततः महोदय

अब आपकी कविताएँ पढ़ी जाएँगी .

मैं उन सभी लोगों के बारे में सोचता हूँ

जो नमकीन छोले खरीदते हैं

और हाथ में गर्म दोने पकड़ते हुए

जिसके नीचे मेरी कविताएँ रहती हैं

कुछ ध्यान देते हैं और कुछ बिलकुल नहीं,

और मैं अपनी खुशामद करते हुए सोचता हूँ

एक व्यक्ति को यह बोनस में प्राप्त होता है

पांच रूपये खर्च करते हुए .

अपने घर की ओर जाते हुए

दुविधा में और शायद प्रसन्नता से

वह कविता को पढ़ता है

तब अपने हाथों की गन्दगी को

उसी कागज से पोंछ डालता है

वह कागज को नीचे गिरा देता है

जो फड़फड़ाते हुए फुटपाथ पर जा गिरता है

तब वह किसी उत्सुक राहगीर से उठाया जाता है .

मैं अपने जेब में पांच रूपये रखते हुए

अपने घर की ओर जाता हूँ

छोले वाले की बातों का

चिंतन करते हुए सोचता हूँ

अनजाने में उसके द्वारा दिया गया

रिश्वत शायद रिश्वत नहीं है

और बिना किसी विद्वेष से

मैं एक और फुटपाथी कवि हूँ .

Views: 402

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on March 31, 2013 at 9:51pm

धन्यवाद ! आदरणीया राजेश कुमारी जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 31, 2013 at 5:19pm

आदरणीय राजीव झा जी बहुत मार्मिक लिखा बस इतना ही कहूँगी हम सब एक ही कश्ती के सवार है अपनी धुन में मस्त कोई नजर डाले न डाले चप्पू चलता रहे चलता रहे बस!!  

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on March 31, 2013 at 12:10pm

coonti जी, सराहना एवं  प्रथम प्रतिक्रिया  के लिए आभार .शायद अतिरंजना में कुछ कड़वी सच्चाई आ गई हैं .

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on March 31, 2013 at 12:04pm

आदरणीय जवाहर जी,सादर .आपने तो निरुत्तर कर दिया .क्या पता लोगों को छोले पसंद आते हैं या उसके नीचे छुपी किसी बेनाम कवि का दर्द .आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए आभार .

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 31, 2013 at 4:55am

आदरणीय झाजी, सादर अभिवादन!

उसी छोलेवाले से मैंने भी छोले खरीदे थे!

कविता पढ़ पता ही नही चला 

कि आंसू किसके वजह से निकले थे 

छोले के तीखापन की वजह से या कविता की भावना से ...

Comment by coontee mukerji on March 31, 2013 at 12:56am

बेहद कड़वी सच मगर क्या करें  कवि तो बेहाल है  कविता कोई  पढ़े ना पढ़े लिखना उसकी मजबूरी है .रजीवजी प्रयास जारी

रखिये.हम सबका यही हाल है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service