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इतिहास लिखना सिर्फ तुम्हारी थाती नही
अब नया इतिहास लिखना हमारी बारी हैं ......... बहुत सुन्दर रचना नीलिमा जी .. बधाई
thank u coontee mukerji ji
Thank u so much Dr Prachi Singh ji
नीलिमा जी अति सुन्दर रचना बधाई हो. होली की शुभकामनाएँ सहित .
मेरी मुखरता तुम्हे उद्वेलित करती हैं
मेरी ख़ामोशी तुमको आक्रोशित करती हैं .........किसी भी रूप से तुम्हे शान्ति नहीं, शायद तुम ही नहीं जानते तुम्हें चाहिए क्या?
तुमने चाहा हैं हमेशा मुझे बेचारी सा
टूटा सा हो लहजा मेरा लाचारी सा ................स्त्री को अपनें इशारों पर नाचता सा ही चाहता रहा है पुरुष वर्ग, हमेशा पराधीन..
नही किस्मत की मारी
बस हमेशा रिश्तो से हारी................फिर भी हार नहीं सकती, क्योंकि औरत है वो... औरत हारने का नाम ही नहीं
इतिहास लिखना सिर्फ तुम्हारी थाती नही
अब नया इतिहास लिखना हमारी बारी हैं..............बहुत जोशीले भाव, जो वर्तमान की धारा पलट इतिहास ही रच देंने में समर्थ हों
पुरुष के दमन से आक्रोशित नारी के मन की संवेदना को सुंदरता से अभिव्यक्त किया है आदरणीया नीलिमा जी
हार्दिक बधाई
शुभकामनाएँ
Shukriya Raj Sharma ji
तुम लिख देना इतिहास मेरे नाम से
तुम्हारे कडवे झूठो , तीखे बयानों से
कितना भी कीचड़ उड़ेलो मेरे जज्बातों पर
मैं बहार आऊँगी चन्दन की महक से !!! Bahut khoob Neelima ji.
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