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ग़ज़ल

======ग़ज़ल=======

 

मौसमे गुल से अदावत सीखी

कैसे ढाना है क़यामत सीखी

 

हर कोई चोर नज़र में जिनकी

उनकी नज़रों से नजारत सीखी

 

हम गरीबों के लिए दिल दौलत   

बेच के जिसको तिजारत सीखी

 

उसको हाथी से क्या डराते हो

जिसने चींटी से बगावत सीखी

 

वक़्त से तुम तो हुए संजीदा

हमने बस “दीप” शरारत सीखी

 

संदीप पटेल “दीप”

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Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 24, 2013 at 10:23am

वाह सन्दीप भाई.....  इन दो अशआर पर खास दाद कुबूल फरमायें..

उसको हाथी से क्या डराते हो

जिसने चींटी से बगावत सीखी

 

वक़्त से तुम तो हुए संजीदा

हमने बस “दीप” शरारत सीखी......  वाह वाह !!!

Comment by बृजेश नीरज on February 24, 2013 at 8:31am

वाह क्या बात है! बहुत खूब!

Comment by श्रीराम on February 24, 2013 at 7:55am

उसको हाथी से क्या डराते 

जिसने चींटी से बगावत सीखी।।।।।।इसी तरह लिखते रहें ....सुन्दर भाव 

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