For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वैलेंटाइन फ्लू (व्यंग)

 वैलेंटाइन  फ्लू (व्यंग)

त्राहिमाम  कर  रही  दिल्ली, फ़ैल  रहा  स्वाईंन फ्लू,
दूजे  सर  चढ़  के  बोल  रहा  सबके  वैलेंटाइन  फ्लू.
कही  मरीजों  की  है, कतारें  लम्बी  अस्पतालों  में,
और  हम  हैं  की  खोये  हैं  प्रेमिका  के  ख्यालों  में.
कही  परिजन  चीत्कार  कर  रहे  छाती पीटकर,
प्रेम  पत्र  लिख  रहे  हम  उसपर  इतर छिटकर.  
पड़ोस  में  एक  बीमार  पड़े  ,मदद  को हैं बुलाते,
पर  गुलाब  लिए  हाथ  में  हम  गीत हैं गुनगुनाते.
क्यों  औरों  का  दुःख  अपनाऊँ ,क्यों  सेवा  धर्म  करूँ,
मचले  जिससे  सुदर  बाला ,मैं  तो  ऐसा  कर्म  करूँ.
क्यों  समझू  की  परमार्थ  में  ही  छुपा  होता  प्यार,
तन  जिसमे  लुभाते  हों , मैं  करूँ  वही  व्यापार.
स्वाईंन  फ्लू  से  निपटने  का , क्यों  करूँ खोज या आविष्कार
कही  बेहतर  है  करूँ , किसी  लड़की  से  आँखे  चार

                                            प्रवीण "सागर"

                                           09311788846

Views: 548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mukul Kumar on February 13, 2013 at 9:57am

bahut khoob acchi racna hai

Comment by Dr.Ajay Khare on February 12, 2013 at 2:52pm

PRAVEEN JI SUNDER RACHNA BADHAI

Comment by mrs manjari pandey on February 12, 2013 at 12:16pm

 प्रवीण सागर जी वेलेंटाइन फ्लू आपके सर चढ़ कर बोल रहा है।मनोरंजक अच्छी रचना।

Comment by Abhinav Arun on February 11, 2013 at 9:58pm

अच्छा है और आमयिक भी हार्दिक बधाई इस व्यंग्य और त्यौहार पर भी !!

Comment by विजय मिश्र on February 11, 2013 at 11:27am

आज के अचेत  बबुआनों को बासंती झकझोर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 10, 2013 at 7:07pm

एक सार्थक सामयिक कटाक्ष बहुत खूब |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service