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पुराना जब भी जाता है नया इक साल आता है,

नया जब साल आता है उम्मीदे साथ लाता है/

 

कोई इक बार आकर के व्यथा उनसे भी तो पूछो,

जिन्हें आते हुए नव साल का इक पल न भाता है/

 

कभी तुम झाँक लो देखो जरा उस मन की तो बूझो,

बुझी उम्मीद है जिसकी  अँधेरा  अब  सताता है/

 

शमाएँ तुम जलालो चढ के जा जाकर मीनारो पे,

नही कर पाओगे रोशन यही अब दिल में आता है/

 

सबक इस हादसे हालात से पाकर के तुम समझो,

खुशी कैसी लगे जब कोई  इक मातम मनाता है/

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Comment

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Comment by Dr.Ajay Khare on December 31, 2012 at 4:23pm

raktale ji naye saal par aapne jo prashanchinh lagaye he manthan karne yogya he badhai 

Comment by नादिर ख़ान on December 31, 2012 at 12:16pm

सबक इस हादसे हालात से पाकर के तुम समझो,

खुशी कैसी लगे जब कोई  इक मातम मनाता है/

 सही कहा आपने,खुशियों मे ग्रहण लग गया है ।

हेर दिल उदास है  हर कोई फिक्र मंद  है 

Comment by Shyam Narain Verma on December 31, 2012 at 11:48am

BAHOT KHOOB......................

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