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तुमको लिखते हाथ कांपते

तुमको लिखते हाथ कांपते

अक्‍सर शब्‍द सिहरते हैं

तुम क्‍‍या जानो तुमसे मिलकर

कितने गीत निखरते हैं

कर लेना सौ बार बगावत

पल भर आज ठहर जाओ

तेरा-मेरा आज भूलकर

चंदन-पानी कर जाओ

 

तुम बिन मेरा सावन सूखा

बादल खूब गरजते हैं

देख रहे जो झिलमिल लडि़यां

बहते अश्‍क लरजते हैं

 

कैसे लिख दूं बदन तुम्‍हारा

बड़ी कश्‍मकश है यारा

बदनाम चमन अंजाम सनम

कलम बिगड़ती है यारा

 

तुमको छूकर नजर नाचती

जख्‍म सूखकर झरते हैं

सच कहते हैं तेरे बिन हम

ना जीते ना मरते हैं

 

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Comment

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Comment by seema agrawal on December 12, 2012 at 3:10pm

तुम बिन मेरा सावन सूखा

बादल खूब गरजते हैं

देख रहे जो झिलमिल लडि़यां

बहते अश्‍क लरजते हैं

तुमको छूकर नजर नाचती

जख्‍म सूखकर झरते हैं

सच कहते हैं तेरे बिन हम

ना जीते ना मरते हैं.......बहुत सुन्दर मन मोहक गीत 

Comment by राजेश 'मृदु' on December 12, 2012 at 2:47pm

आप सबकी प्रतिक्रिया ने स्‍तब्‍ध कर दिया लिखते वक्‍त सोचा तक नहीं था कि इतनी पसंद की जाएगी, सबको नमन


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 12, 2012 at 12:47pm

किस पंक्ति किस शब्द की तारीफ़ करूँ,

बहुत कोमलता से , खूबसूरत,हार्दिक संवेदना के कोमलतम एहसासों को , भावों को नाज़ुक से शब्द दिए है, कविता जैसे नदी की रवानगी लिए बहती जा रही है, और सीधे ह्रदय में प्रवेश कर रही है.

इस खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई प्रिय राजेश कुमार जी 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 12, 2012 at 4:45am

तुमको छूकर नजर नाचती

जख्‍म सूखकर झरते हैं

सच कहते हैं तेरे बिन हम

ना जीते ना मरते हैं!

आदरणीय राजेश झा जी, बधाई स्वीकार करें!

Comment by वीनस केसरी on December 12, 2012 at 1:58am

बहुत खूब भाई
जब.. सुर लय ताल का संगम होता है और उसमें भाव आ कर घुल जाते हैं तो एक ही स्थिति बनती है... आनंद की स्थिति

आप बेहद शानदार गीत लिखते हैं
संतुलित, सुसंस्कारित 
हार्दिक बधाई

Comment by Dipak Mashal on December 11, 2012 at 8:02pm

ऐसे सुन्दर गीत के लिए बधाई  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 11, 2012 at 6:54pm

सुन्दर रचना बधाई श्री राजेश कुमार झा 

Comment by राजेश 'मृदु' on December 11, 2012 at 6:20pm

आदरणीय संदीप जी एवं अजय साहब आपकी उपस्थिति एवं विचार से मन अनुगृहित हुआ । आप सबके प्रेम से ही लेखनी चलती रहती है सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 11, 2012 at 5:36pm

 बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई आपके आदरणीय झा साहब
क्या बात  है

Comment by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 4:53pm

Jha sahib seingar ki bochar se aapne tan man bhigo diya keep it up

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