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बावरिया हो भागती, सजनी ज्यों पिय ओर l

दीवानी मीरा बनी, थाम कन्हैया डोर ll

थाम कन्हैया डोर, प्रेम में सुध बुध हारी l

मोहबंध सब त्याग, पुकारूँ बस गिरधारी ll

प्राण भक्ति में लीन, ओढ़ चूनर केसरिया l

प्रभु संग मधुर मिलन, हुई जोगन बावरिया ll

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Comment by Er.vir parkash panchal on November 1, 2012 at 10:46am

bahoot khoob dr.prachi ji deewani mera mein may khoob anurag jalak raha hai...naman hai.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 31, 2012 at 9:10pm

आदरणीया सीमा जी , आपका सराहना हमेशा अच्छा लिखने को प्रेरित करता है, आपको यह कुण्डलिया रूचि यह जान कर संतोष हुआ है.

मुझे रोला छंद के विषम चरण के अंत के बारे में कोई विशिष्ट ज्ञान नहीं था, पर, अभी आदरणीय अम्बरीश जी द्वारा रोला छंद : एक परिचय का अंश पढ़ा, जो इस प्रकार है :

रोले की प्रत्येक पंक्ति के मध्य में ११ मात्रा की यति पर प्रायः गुरु लघु [२१] या लघु लघु लघु [१११] तथा पंक्ति के अंत में गुरु गुरु [२२] / लघु लघु गुरु [११२] या लघु लघु लघु लघु [११११] का उपयोग किया गया है ! परन्तु इसके अंत में दो गुरु होना ही श्रेयस्कर है

http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:To...

जिस पंक्ति के विषम चरण को आपने इंगित किया है, मुझे भी वहां प्रवाह रूकता सा लग रहा है, कृपया इस हेतु कुछ सुधार सुझाएँ . सादर.

Comment by seema agrawal on October 31, 2012 at 7:20pm

थाम कन्हैया डोर, प्रेम में सुध बुध हारी l

मोहबंध सब त्याग, पुकारूँ बस गिरधारी ll......बहुत प्यारी कुण्डलिया  प्राची 

प्रभु संग मधुर मिलन, हुई जोगन बावरिया ll...बस इस पंक्ति के सन्दर्भ में यह कहूंगी रोला के विषम चरण का अंत  दीर्घ -लघु होता है  मुझे लगता है मिलन लघु-दीर्घ होरहा है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 31, 2012 at 6:26pm

हाँ प्राची जी आप सही कह रही हैं अब स्पष्ट हो गया बहुत बहुत शुक्रिया स्पष्ट करने के लिए 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 31, 2012 at 6:14pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी ,

यही प्रश्न मैंने आदरणीय गुरुदेव संजीव वर्मा सलिल जी से किया था...

आप कन्हैया को बोल कर देखें .. क पर आधा न का भार नहीं आ रहा है, इसलिए इसकी मात्रा ५ ही होगी, जैसा कि मैंने सीखा.

सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 31, 2012 at 6:07pm

वाह प्रिय प्राची जी क्या बात है दिल में भक्ति भाव भर दिया आपकी इस कुंडली  ने  बहुत प्यारी लिखी है एक बात कन्हैया में मेरे हिसाब से छह मात्रा होनी चाहिए आपने पांच की हैं क्या पांच सही हैं ?मेरा संशय दूर करें 

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