For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आओ सम्वाद करें
चमन में मुरझाते हुए फूलों पर
जंगल में ख़त्म होते बबूलों पर
माली से हुई  अक्षम्य भूलों पर
सावन में सूने दिखते  झूलों पर 
कि  कैसे इन्हें आबाद करें........आओ सम्वाद करें

गरीबी व भूख के मसलों पर
शहर में सड़ रही फसलों पर
भटकती हुई  नई  नस्लों पर
आँगन में उग रहे असलों पर
थोड़ा वाद करें, विवाद करें........आओ सम्वाद करें

शातिर रहनुमा की अवाम से गद्दारी पर
हाशिये पर खड़ी पहरुओं की खुद्दारी पर
मिट्टी के माधो बने हर एक दरबारी पर
बेदखल किये  गये लोगों की हकदारी पर
थोड़ा रो लें, अवसाद करें .........आओ सम्वाद करें

ज़ुल्म अब तक जो हुआ, जितना हुआ हमने सहा
न तो ज़ुबां मेरी  खुली और न ही कुछ तुमने कहा 
किन्तु अब खामोशियाँ  अपराध है
अब गति स्वाभिमान की निर्बाध है
तोड़ना है चक्रव्यूह अब देशद्रोही राज का
हर बशर मुँह ताकता है  क्रांति के आगाज़ का
बीज जो बोया था हमने रक्त  का, बलिदान का
व्यर्थ न जा पाए इक कतरा भी हिन्दुस्तान का
साजिशें खूंख्वारों की बर्बाद करें ....आओ सम्वाद करें ....आओ संवाद करें

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री

Views: 527

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on August 24, 2012 at 8:53pm

सम्मान्य सीमा जी.......आपके शब्दों  ने मुझे हौसला  दिया है.......आपके  आत्मिक और उदार लफ़्ज़ों में पोशीदा  ज़र्फ़  से भरकर मेरी लेखनी को धार मिलेगी  ऐसा मुझे भरोसा है

बहुत बहुत शुक्रिया

सादर

Comment by seema agrawal on August 24, 2012 at 8:33pm

वो सारे  ज़रूरी मसले जिन पर सब मुह बंद रखते हैं चाहे वो समाज हो या राजनीति ,एक कवि ही मुह खोल सकता है और खुल कर बोल सकता है ...निश्चित ही आपने वो सारे मुद्दे उठाये हैं जिन पर नेता सिर्फ चुनाव के समय मुह खोलते हैं और समाज सिर्फ तब बोलता है जब उसे यह दिखाना होता की हम भी यहाँ हैं ज़िंदा हैं 

एक सच यह भी है कलम सिर्फ आगाह कर सकती है जागने के लिए प्रेरित कर सकती है समाज के अहम हिस्से के रूप में आपने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई अलबेला जी 

ज़ुल्म अब तक जो हुआ, जितना हुआ हमने सहा 
न तो ज़ुबां मेरी  खुली और न ही कुछ तुमने कहा  
किन्तु अब खामोशियाँ  अपराध है 
अब गति स्वाभिमान की निर्बाध है 
तोड़ना है चक्रव्यूह अब देशद्रोही राज का 
हर बशर मुँह ताकता है  क्रांति के आगाज़ का 
बीज जो बोया था हमने रक्त  का, बलिदान का 
व्यर्थ न जा पाए इक कतरा भी हिन्दुस्तान का 
साजिशें खूंख्वारों की बर्बाद करें .............ईश्वर आपकी ललकार कामयाब करे 

Comment by Albela Khatri on August 24, 2012 at 8:09pm

बहुत सुन्दर और प्रभावी  लिखा लड़ी वाला जी आपने,..

तहेदिल से अभिनन्दन आपका

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 24, 2012 at 3:04pm


आदनीय अलबेला जी, आपभी खूब है, कोई नया वाद-संवाद लेही आते है, फिर कलम कैसे रुके 

अब वाद विवाद,प्रतिवाद का आयोजन करेंगे तो हम भी कलम घसीटते है (सादर )-
आओ संवाद करे 
गंगा यमुनी तहबीज पर
राधा कृष्ण के प्रेम पर 
मीरा की दीवानगी पर 
आओ विस्तृत वाद करे ...आओ संवाद करे 
 
आओ संवाद करे 
कृष्ण सुदामा की मित्रता पर 
गोपियों की रास लीला पर 
राम-दूत की भक्ति पर 
आओ इनका भान करे ...आओ संवाद करे 
 
आओ संवाद करे 
गंगा-जल प्रदुषण पर 
खोखलीं होती धरती पर
सुरसा सी बढती महंगाई पर 
आओ विवाद करे -----आओ संवाद करे 
 
ओबीओ में बढती प्रतिस्प्रद्धा पर 
इसके साहित्यिक योगदान पर 
इसके स्थापित आयामों पर 
क्या कोई प्रतिवाद करे ? .....आओ संवाद करे
जय हिंद 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
11 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service